थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है. क्योंकि इसके द्वारा ऊर्जा देने वाले हार्मोन का निर्माण होता है। इसी के कारण अक्सर गले में गांठ भी बन जाती है। गांठ का आकर छोटा और बड़ा भी हो सकता है. यदि आप के गले कि गांठ बड़ी है, तो यह गले के चारों ओर भी हो सकती है। गले में दो तरह की गांठ बनती है। पहली साधारण गांठ होती है और दूसरी कैंसर की गांठ। गले में गांठ होने से साँस की नली, आहार नली आदि में समस्या पैदा होने लगती है। इसका उपचार सही समय पर करवा लेना चाहिए नहीं तो यह गांठ साँस लेने की समस्या पैदा कर सकती है। गले की गांठ एक ट्यूमर होता है, जो आगे बढ़कर असुविधा का कारण बन सकती है।
गले कि गांठ के लक्षण
- गर्दन या गले में दर्द
- वजन घटना
- 50 साल की उम्र के बाद अचानक उपस्थिति
- निगलने में कठिनाई होना
- मांसपेशी में कमजोरी
गले की गांठ के कारण
- शरीर में आयोडीन की कमी
- गले में सूजन ,
- नोड्स की उपस्थिति या कैंसर में एक समान्य वृद्धि
गले की गांठ का उपचार
गले में दूषित वात, कफ और मेद गले के पीछे रह जाते हैं, जो धीरे-धीरे करके अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गांठों को पैदा करते हैं, जिन्हें हम गण्डमाला के नाम से जानते हैं। मेद और कफ से बगल, कंधे, गर्दन, गले और जांघ के मूल में छोटे बेर के समान या फिर बड़े बेर के समान तैयार होती है जो धीरे-धीरे करके पकती है। इन गांठों की हारमाला को गण्डमाला के नाम से जाना जाता है और यदि यह गांठे कंठ पर तैयार हो तो इसे कंठमाला कहा जाता है। इससे राहत पाने के लिए कौंच के बीज को अच्छे से घिस कर दो से तीन बार लेप करें और गोरखमुंडी के पत्तों के रस को निकालकर आठ-आठ तोला रस पीने से कंठमाला में लाभ प्राप्त होता है। इसमें कफ पैदा करने वाले पदार्थ से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। यह दवा विशेषज्ञ की सलाह से लें।