टेस्ट ट्यूब बेबी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि क्या होता है टेस्ट ट्यूब बेबी ? इससे बच्चा कैसे पैदा होता है ? क्या यह कोई तकनीक है ? हालांकि बहुत से लोगों को यह पता तक नहीं है कि इस तकनीक के तहत बच्चे का जन्म होता है। लेकिन यह प्रकिया बच्चे पैदा करने के सामान्य प्रक्रिया से बहुत ही अलग है। आइए इसे विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है ?
टेस्ट ट्यूब बेबी वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय से बाहर, अर्थात इन-विट्रो यानी कृत्रिम परिवेश में, शुक्राणुओं (Sperms) द्वारा अंड (Egg) कोशिकाओं का निषेचन (Fertilization) किया जाता है। इसे दोबारा महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। टेस्ट ट्यूब बेबी को कुछ लोग सरोगसी समझ लेते हैं लेकिन ये अलग परिक्रिया है
टेस्ट ट्यूब बेबी कैसे होता है ?
अब आइए इसे आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि ये कैसे होता है। आईवीएफ ट्रीटमेंट के पुरुष (पिता) के शुक्राणुओं और महिला (माता) के अंड को बाहर निकालकर मिलाया जाता है और बाहर ही भ्रूण को तैयार किया जाता है और जो सबसे अच्छा भ्रूण (Embryo) होता है उसे दोबारा महिला गर्भाशय (Uterus) में डाल दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया एक प्रयोगशाला में की जाती है। यह आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF treatment) है। इसे आम बोलचाल की भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जानते हैं।
टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के जनक कौन है ?
प्रथम सफल ‘’टेस्ट ट्यूब शिशु’’, लुइस ब्राउन का जन्म 1978 में हुआ था। इसे वैज्ञानिक रॉबर्ट एडवर्ड्स और स्त्री रोग विशेषज्ञ पैट्रिक स्टेपटोई संभव करके के दिखाया था। वैज्ञानिक और प्रोफेसर एडवर्ड्स को वाइट्रो (आईवीएफ) तकनीक के लिए चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार 2010 मिला था। रॉबर्ट एडवर्ड्स का निधन 10 अप्रैल 2013 में हो गया।
टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक क्या है ?
यह एक आईवीएफ तकनीक है, जिसका अर्थ है इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन। इसमें इन-विट्रो एक लातिनी मूल का शब्द है जिसका अर्थ है कांच के भीतर। आईवीएफ़ (IVF) प्रक्रिया की मदद से जन्म लेने वाले बच्चों के लिए एक आम बोलचाल का शब्द है टेस्ट ट्यूब बेबी। आज आईवीएफ का दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहा है और इस तकनीक से 50 लाख से अधिक बच्चों का जन्म हो चुका है।
कौन चाहता है टेस्ट ट्यूब बेबी ?
आईवीएफ उपचार ने कई जोड़ों को बच्चा दिया है, जो प्रजनन समस्याओं से पीड़ित हैं। जैसे शुक्राणु की खराब गुणवत्ता, अंडू की गुणवत्ता में गिरावट होना आदि। ऐसे माता-पिता को एक बच्चे की दरकार होती है इसलिए वह आईवीएफ तकनीक का सहारा लेते हैं।
टेस्ट ट्यूब बेबी का कितना खर्च होता है ?
एक वेबसाइट के मुताबिक आईवीएफ तकनीक के तहत टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्चा दूसरे देशों के मुकाबले भारत में बहुत ही सत्ता है। इसमें पूरी प्रक्रिया की लागत 1,10,000 रुपए से 2,00,000 रुपए तक है।