एक महिला के लिए मां बनना सबसे बड़ी बात होती है। मां बनना कोई आसान बात नहीं, कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पूरे 9 महीने तक बच्चे को कोख में रखना कोई खेल बात नहीं, वहीं जब बच्चा समय से पहले ही अगर जन्म ले लें, तो बाद में उसे चीजों को पहचानने, निर्णय लेने और कई तरह की अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं, समय से पहले जन्मे शिशुओं को ध्यान केंद्रित करने में भी काफी दिक्कतें होती हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसी क्या बीमारी है, जो समय से पहले जन्मे बच्चे को ही अपना शिकार बनाती है। दरअसल, इस समस्या नामक बीमारी को अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) कहते हैं। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने में बहुत कठिनाईयां होती हैं। आपको बता दें कि यह अध्ययन 60,000 बच्चों के बीच में किया गया था।
प्रीटर्म बच्चों की गिनती – 1.5 करोड़
विश्व स्वास्थ्य संगठन जिसको डब्लूएचओ के नाम से भी जाना जाता है। उनका अनुमान है कि हर साल लगभग 1.5 करोड़ प्रीटर्म बच्चे दुनिया भर में जन्म लेते हैं, जिसका साफ मतलब है कि विश्व में हर दस में से एक बच्चा प्रीटर्म ही जन्म लेता है। जहां, 184 देशों में प्रीटर्म जन्म की दर 5 प्रतिशत से लेकर 18 प्रतिशत तक की है वहीं, हमारे भारत में हर साल पैदा होने वाले 2.7 करोड़ बच्चों में से 35 लाख बच्चे प्रीटर्म श्रेणी के ही होते हैं।
कैसे होते हैं प्रीटर्म बच्चे
बता दें कि समयपूर्व जन्म उसे कहा जाता है प्रीटर्म, जो गर्भावस्था के लगभग 37 सप्ताह से पहले ही हो जाता है। हालांकि सामान्य गर्भावस्था आमतौर पर 40 सप्ताह का ही होती है। गौरतलब है कि जन्म से पहले बच्चे को गर्भ में विकसित होने के लिए काफी कम समय ही मिल पाता है, इसीलिए अक्सर चिकित्सा समस्याएं कठिन हो जाती हैं। बता दें कि ऐसे कई शिशुओं को दिमागी लकवा यानी सेरीब्रल पाल्सी, सीखने में कठिनाई और सांस संबंधी बीमारियों जैसे विभिन्न तरह के रोग होने का डर बना रहता है।
यही नहीं, ऐसे बच्चे आगे के जीवन में कई शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और साथ ही आर्थिक कठिनाइयों का कारण भी बन जाते हैं।
प्रीटर्म बच्चों को कैसे पहचाना जाता
प्रीटर्म शिशु आकार में छोटा होता है, लेकिन उसका सिर काफी बड़ा होता है। इनके शरीर पर बाल भी अधिक मात्रा में पायी जाती है। साथ ही इनके शरीर का तापमान भी बहुत कम रहता है।
टिप्स: समय पूर्व प्रसव टालने के खास 4 उपाय
- बच्चे के जन्म के पूर्व की देखभाल की अनदेखी बिल्कुल भी ना करें। अपने डॉक्टर से खाने-पीने के बारे में सही से पूरी जानकारी याद से ले लें।
- अपना खास ख्याल रखें क्योंकि जिन महिलाओं को पहले भी प्रीटर्म प्रसव हो चुका हो उन्हें आगे भी ऐसा ही होने का अंदेशा बहुत अधिक रहता है। ध्यान रखें कि धूम्रपान से इस समस्या में बहुत ज्यादा वृद्धि होती है।
- अपने वजन पर कंट्रोल करें। शरीर के प्रकार और बच्चे के लिए कितना वजन उपयुक्त है यह अवश्य जानें क्योंकि बहुत अधिक वजन बढ़ने से गर्भावधि में डायबिटीज भी हो सकता है। खाने का सही समय – कब क्या खाएं
- अपना भोजन अच्छा और सही समय पर खाएं। इस बात का खास ख्याल रखें कि आपका आहार ज़रूर से पौष्टिक हो। बता दें कि पूरे गेहूं वाले काबोर्हाइड्रेट, प्रोटीन और डेयरी उत्पाद, फल व सब्जियों पर आप ज्यादा से ज्यादा जोर दें।