मां का दूध जिसे हम ब्रेस्ट मिल्क भी कहते हैं शिशु के विकास, संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। यह एक तरह का प्राकृतिक दूध होता है जो मां के स्तन से निकलता है। डॉक्टरों के मुताबिक पैदा होने के बाद शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती इसलिए मां का दूध उसे शक्ति प्रदान करता है जो उसे विभिन्न तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं जो बच्चों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
कई बार डॉक्टर सलाह देते हैं कि शुरुआती कुछ महीने शिशु को मां का दूध ही पिलाना चाहिए। क्योंकि वह स्थिति ऐसी होती है कि शिशु को कोई दूसरी चीज खिलाई भी नहीं जा सकती।
मां के दूध के फायदे
लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व
मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है, जिससे बच्चों के शरीर कोई रोग उत्पन नहीं हो पाते।
जीवन रक्षक है मां का दूध
जिन बच्चों को बचपन में मां का दूध नसीब नहीं होता उन्हें कई तरह की बीमारियों से रूबरू होना पड़ता है। उन्हें पेट और मस्तिष्क से संबंधित कई बीमारियां घर कर जाती है। इसलिए शुरुआती छह-आठ महीने तक शिशु के लिए मां का दूध श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।
कई बीमारियों को करता है दूर
पोषक तत्वों से भरपूर और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार मां का दूध सुपाच्य होता है, जो न केवल शिशु के पेट की गड़बड़ियों को दूर करता है बल्कि दमा और कान की बीमारी पर नियंत्रण रखता है।
मां का दूध है सुरक्षित
यदि शुरुआती दिनों में शिशु को गाय का दूध पिलाया गया तो उसे एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए शिशु को मां का ही दूध पिलाना चाहिए। यह न केवल सुरक्षित है बल्कि इससे बच्चे मोटे भी नहीं होते।
भयंकर बीमारियों से छुटकारा
मां का दूध इतना सुरक्षित और पौष्टिक होता है कि इससे रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी भयंकर बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
मां भी रहती है स्वस्थ
ऐसा माना गया है कि बच्चों को अपना दूध पिलाने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम रहता है। साथ ही इससे मानसिक क्षमता बढ़ती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
हड्डियां होती है मजबूत
दूध में कैल्शियम होता है जो बच्चों की हड्डी के लिए बहुत ही जरूरी है। मां का दूध ज्यादा पौष्टिक होने की वजह से शिशु की हड्डियां ज्यादा मजबूत होती है।