हैजा एक तरह की महामारी है, जो दूषित भोजन या पानी को ग्रहण करने के कारण होता है। इसके रोग के शिकार वे लोग ज्यादा होते हैं जो अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देते हैं। वैसे आपको बता दें हैजा रोग विबियो कोलेरी नामक बैक्टीरिया से फैलता है। यह गर्मियों के अन्त में या वर्षा ऋतु के शुरू में फैलता है। अगर इसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये जानलेवा साबित हो सकता है।
हैजा होने के कारण
1. दूषित भोजन और दूषित जल, दूध एवं दूध के उत्पाद, कटे हुए फल, साग-सब्जियां आदि का प्रयोग करना ही हैजा बीमारी का कारण बनता हैं।
2. रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में रहने, उसके साथ टहलने, खाने-पीने, सोने अथवा उसके कपड़े, बर्तन, कंघी, आदि वस्तुओं के प्रयोग करना भी एक स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए सही नहीं है। इससे हैजा हो सकता है।
3. मक्खियां मलमूत्र पर बैठकर इसके जीवाणु को अपने पेरों, पंखों तथा अन्य अंगों द्वारा लाती है और बिना ढंके भोज्य पदार्थों पर बैठकर उसे दूषित कर देती है। इसलिए ऐसे भोजन का प्रयोग कभी न करें जिस पर मंक्खियां बैठी हो।
4. कच्चा या अधपका भोजन या मछली भी हैजा का कारण बन सकता है।
हैजा के लक्षण
1. इसमें रोगी को दस्त होने लगता है। दस्त की शक्ल चावल के मांड जैसी पतली होती है।
2. रोगी को प्यास अधिक लगती है, पेशाब बन्द हो जाता है।
3. रोगी देखते ही कमजोर हो जाता है। आंखे भीतर की ओर धंस जाती है, हाथ-पैरों में पीड़ा व अकड़न शुरू हो जाता है।
4. शरीर ठंडा पड़ने लगता है तथा पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है।
5. इसमें रोगी उलटी करने लगता है। उलटी में पानी बहुत अधिक होता है, यह उलटी सफेद रंग की होती है।
हैजा के सामान्य और घरेलू उपचार
1. बीस ग्राम प्याज का रस गुनगुना करके घंटे-घंटे भर बाद थोड़ा-सा नमक डालकर पिलाना चाहिए।
2. हींग एक ग्राम, कपूर एक ग्राम और दो हरी मिर्चे लेकर तीनों को पीसकर चने की तरह गोलियां बना लें। इसकी दो-दो गोलियां दिन में तीन बार रोगी को ठंडे पानी से दें।
3. लहसुन की दो पीस को नींबू के रस के साथ पीसें और रोगी दें।
4. नमक-शकर-पानी का घोल बनाकर पिलाना चाहिए। इसके अलावा इलेक्ट्रोलाइट पिलाकर रोगी को लवणों की पूर्ति की जाती है।
5. हैजा में दस्त तथा उल्टियां बंद करने के लिए नीम की थोड़ी-सी पत्तियां पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
6. कच्चे नारियल का पानी बार-बार पिलायें।
7. हैजे में आधा कप पुदीने का रस हर दो घंटे बाद पिलायें।
8. प्याज के रस में पुदीने तथा नींबू का रस बराबर की मात्रा में मिला लें। फिर दस-दस मिनट बाद एक-एक चम्मच पिलाते रहें।
9. तुलसी के पत्ते और काली मिर्च को पीसकर रोगी को चटनी के रूप में चटायें या पानी में घोलकर दें।
हैजा के आयुर्वेदिक उपचार
1. नागरमोथा, जायफल और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर रोगी को थोड़ी-थोडी देर बाद पिलाये।
2. पुदीने की पत्तियां तीस, चार काली मिर्चे, काला नमक दो चुटकी, भूनी हुई इलायची दो, इमली पक्की एक चोई- इन सब चीजों को पानी में डालकर चटनी बना लें। इस चटनी को बार-बार रोगी को चाटने के लिए दें।
3. शरीर की ऐठन को दूर करने के लिए सरसों के तेल में कड़वा कूट तथा तांबा घिसकर रोगी के सारे शरीर में लगायें।