हार्ट ब्लॉकेज क्या है?
दिल की धड़कन से संबंधित ही एक समस्या है हार्ट ब्लॉकेज। कई बार तो यह बीमारी जन्म लेते ही बच्चोंब के साथ उन्हें अपना शिकार बना लेती है वहीं, कुछ लोगों में यह समस्याा बड़े होने के बाद शुरू होती है। बता दें कि जन्मिजात होने वाली समस्या को कोनगेनिटल हार्ट ब्लॉ क जबकि बड़े होने पर हार्ट ब्लॉ केज की होने वाली समस्याज को एक्वीयरेड हार्ट ब्लॉिक कहते हैं।
यूं तो इन दिनों कोनगेनिटल हार्ट ब्लॉजक के मुकाबले एक्वीयरेड हार्ट ब्लॉरक एक आम समस्या है। हार्ट मशल और इसके इलेक्ट्रिकल सिस्ट म के कारण एक्वीलरेड हार्ट ब्लॉरक की प्रॉब्ल म होती है। हालांकि इसका उपचार बाइपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी अथवा महंगी दवाएं है।
आइए बताते हैं हार्ट ब्लॉबकेज के लक्षण
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपको किस डिग्री की ब्लॉ्केज हैं। फर्स्टै डिग्री हार्ट ब्लॉ केज का कोई खास लक्षण देखने को नहीं मिलता है। वहीं सेकेंड डिग्री और थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉ केज में दिल की धड़कनें निश्चित समय अंतराल पर न होकर रूक-रूक कर होती है। इस तरह की हार्ट ब्लॉ केज के अन्यन लक्षण हैं –
- चक्कार आना या बेहोश हो जाना
- सिर में दर्द की शिकायत रहना
- थोड़ा काम करने पर थकान महसूस हो जाना
- छोटी सांस आना व सीने में दर्द रहना आदि है।
अब बात थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉनकेज की जिसमें रोगी को तुरंत इलाज की जरूरत होती है क्योंॉकि यह घातक हो सकती है।
क्या है हार्ट ब्लॉीकेज का उपचार
थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉीकेज की समस्या होने पर इसे ‘पेसमेकर’ मेडिकल डिवाइस की मदद से ठीक किया जा सकता है। कभी-कभी इस डिवाइस का इस्तेसमाल सेकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉसकेज होने पर भी किया जाता है। फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉहकेज में पेसमेकर का यूज नहीं किया जाता। आपको बता दें कि पेसमेकर का इस्तेटमाल हार्ट की इलेक्ट्री कल पल्सज को बढ़ाने के लिए किया जाता है। किसी भी प्रकार की हार्ट ब्लॉसकेज आपके लिए खतरा बढ़ा सकती है। इसलिए उपचार में लापरवाही न करें।
हार्ट ब्लॉकेज का घरेलू उपचार यहां
रोजाना सुबह में 3 से 4 किलोमीटर की सैर करें
सुबह को लहसुन की एक कली जरूर खाएं। इसको लेने से कोलेस्ट्रारल कम होता है।
खाने में बैंगन का प्रयोग करने से कोलेस्ट्रा ल की मात्रा में कमी आती है।
प्याज अथवा प्याज के रस का सेवन करने से आपकी हार्टबीट कंट्रोल में रहती है।
हार्ट के रोगियों को हरी साग-सब्जीह जैसे लौकी, पालक, बथुआ और मेथी जैसी कम कैलोरी वाली सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।
घी, मक्खन, मलाईदार दूध और तली हुई चीजों के सेवन से खुद को रोके।
अदरक अथवा अदरक का रस भी खून का थक्का बनने से रोकने में सहायक होता है।
शराब के सेवन और धूम्रपान से भी बचना चाहिए।