टॉयलेट पेपर हमेशा से अस्तित्व में नहीं रहा है। हम अपने शरीर व हाथों को साबुन और पानी से साफ करते हैं, लेकिन सूखा टॉयलेट पेपर से हमारे बट्स को साफ़ करने का कोई मतलब नहीं होता है। अमेरिका टॉयलेट टिश्यू पेपर्स पर एक साल में 6 अरब डॉलर खर्च करता है, जोकि धन और पर्यावरण दोनों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। लेकिन भारत टॉयलेट टिशू पेपर उपयोग करने की इस पश्चिमी संस्कृति से काफी पीछे है। भारत में कुछ लोगों को छोड़कर, बाकी आबादी अभी भी पानी का उपयोग कर परंपरागत तरीके बट्स को साफ करते है। हर कोई, हर जगह, एक ही हाइजीन तरीकों को इस्तेमाल नहीं करता। कुछ देशों में, स्पंज, मुलायम तौलिये या गीली नैपस बट्स की सफाई का पसंदीदा तरीका है। लेकिन यह केवल टॉयलेट टिश्यू पेपर का बिज़नेस का सबसे अच्छा है। बट्स को वाइप करने से अच्छा धोने चाहिए और इसके निम्नलिखित कारण हैं-
टॉयलेट पेपर या पानी का उपयोग
यह फिकल मैटर पीछे छोड़ देता है
अधूरे ढंग से साफ किये गए बट्स बाद में फीकल मैटर पीछे छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में शरीर में विभिन्न यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन और स्किन इचिंग जैसी बीमारियां विकसित हो सकती है।
वाइपिंग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं पैदा
बट्स पोंछते रहने से सूखापन और एरोसॉन करते हैं, जिससे संक्रमण और सूजन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द भी रह सकता है। इससे खुनी हेमोर्रोइड्स और महिलाओं में विशेष रूप से यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन होता है। इसलिए यह हमेशा टॉयलेट पेपरों की तुलना में साफ करने के लिए पानी के उपयोग की सिफारिश की जाती है।
वाइपिंग नरम त्वचा को पहुंचा सकती है नुकसान
टॉयलेट पेपर से सॉफ्ट बट्स स्किन को पोंछते रहने के कारण, कभी-कभी बवासीर की बीमारी हो जाती है। यदि आप शौचालय वाइप्स के साथ एक दिन में बहुत अधिक बट्स को पोंछते हैं, तो यह बट्स की त्वचा में जलन भी पैदा कर सकता है। लेकिन पानी के साथ वाइपिंग से, बूट्स स्किन में कभी भी इर्रिटेशन नहीं होती।
हाइजीन की समस्याएं
जल प्राकृतिक क्लीनिंग एजेंट है, जो अच्छी हाइजीन प्रदान करता है। जबकि टॉयलेट पेपर बड़े फीकल मैटर्स को ही साफ़ करता है, इस कारण से टॉयलेट टिशू पेपर बेहतर हाइजीन प्रदान नहीं करते हैं। इसके अलावा, यह टॉयलेट पेपर से पोंछते हुए यह आपके हाथों को गंदा कर सकता है। वाइपिंग किये जाने के बाद, अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना जरुरी होता है। हाथ साफ न करना आपको विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त कर सकता है।
वाइपिंग-टिशू में ब्लीच होता है
यदि आपका टॉयलेट पेपर सफेद है, तो इसमें ब्लीच हो सकता है। क्लोरीन ब्लीच खतरनाक विषाक्त पदार्थ पैदा करता है, जो शरीर में गंभीर स्वास्थ्य बीमारियों की स्थितियों के कारण पैदा कर सकता है। ब्लीच वाइप से बट्स पोंछने पर कई बार फंगल इन्फेक्शन, रशेस और अत्यधिक खुजली सहित त्वचा की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
वाइपिंग की सही तकनीक
बट्स को साफ़ करने के लिए गीली वाइप्स का उपयोग किया जा सकता हैं। बट्स साफ करने के हार्ड टिशू पेपर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। रशेस से बचने के लिए टॉयलेट पेपर पर्याप्त नरम होना आवश्यक है। नमी के कारण संक्रमण से बचने के लिए बट्स को सूखा रखना आवश्यक है। जहां तक संभव हो, बट्स वाइपिंग के लिए पानी का ही प्रयोग करना चाहिए जो एक ट्रेडिशनल तरीका है और जिससे बीमारिया भी नहीं लगती।