प्रदूषित हवा से बचने के 4 तरीके – बच्चों के लिए

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने कुछ महीने पहले एक सर्वे किया और निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर है। दिल्ली की हवा छोटे पर्टिक्युलेट्स के खतरनाक स्तरों को दर्ज करता है, जिसे पीएम 2.5 एस प्रति घन मीटर के रूप में जाना जाता है। हाल की रिपोर्टों से पता चला है कि बीजिंग और दिल्ली वायु प्रदूषण के स्तर पर नैक टू नैक हैं और बीजिंग में आपात स्थिति जैसी स्थिति घोषित की गई थी। भारत में, हम इस स्थिति को भी पार करते हैं। दिल्ली सरकार ने सड़क की भीड़ और वाहनों के प्रदूषण को काम करने का प्रस्ताव दिया था। परन्तु दिल्ली के प्रदूषित वातावरण से अपने बच्चों को बचाने के उपाय निम्नलिखित है-

1. रीयल-टाइम एयर-क्वालिटी ऐप्स के माध्यम से वायु की रीडिंग जांचे

माता-पिता हवा की गुणवत्ता सूचकांक की मदद ले सकते हैं, यदि यह 200 से अधिक है, तो अस्थमा या श्वसन एलर्जी से पीड़ित बच्चों को जितना संभव हो, घर के भीतर रखें। दिल्ली के नागरिक अब रियल-टाइम मोबाइल ऐप में वायु की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं। जोकि एक कलर-कोड प्रणाली के माध्यम से हवा का पूर्वानुमान प्राप्त कर सकते हैं जैसे हरा-अच्छी हवा, पीला- मध्यम प्रदूषित, नारंगी- खराब हवा, लाल- बहुत ज्यादा प्रदूषित हवा का प्रतिक है।

 

2. अपने बच्चे के लिए एक उच्च गुणवत्ता वाले फेस मास्क खरीदे

जब आपके बच्चे बहार होते हैं तो उस पूरे समय बच्चों के फेस पर एक अच्छी क्वालिटी का फेस मास्क पहनाना चाहिए। उनके चेहरे और आंखों की रक्षा के लिए रूमाल और चश्मे का उपयोग करें। बच्चों की आंखों, नाक, मुंह और कानों को कपडे से ढाका होना सुनिश्चित कर लें। हालांकि यह एक फुलप्रूफ विधि नहीं है, परन्तु यह निश्चित रूप से बच्चों के श्वास लेते हुए विषाक्त पदार्थों की मात्रा को सीमित करता है।

3. आपके घर के लिए एयर प्यूरीफायर पर विचार करें, विशेष रूप से आपके बच्चे के बेडरूम के लिए

माता पिता सुनिश्चित करें कि वह अपने घर के भीतर एक अच्छी गुणवत्ता वाला एयर प्यूरीफायर लगवाएं, खासकर अपने बच्चे के बेडरूम में। एक एयर प्यूरीफायर में वायरस, बैक्टीरिया, गंध और एलर्जी जैसी हवा के घातक कणों को खत्म करने की शक्ति होती है।

4. प्रदूषित हवा के समय के दौरान एरोबिक गतिविधि से बचें

अपनी बाहरी गतिविधि जैसे, सुबह की सैर और जॉगिंग, जितनी संभव हो उतनी सीमित करें। न सिर्फ सुबह की सैर परन्तु देर शाम को भी स्मोग में बाहर निकलने से नुकसान होता है। चलने और सैर करने में अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है, जिससे हम तेजी से सांस लेते है और हवा में जहरीले कणों को सांस के साथ अधिक मात्रा में ग्रहण कर लिया जाता है।
इससे बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य पर अधिक बुरा प्रभाव पड़ेगा। बच्चे वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों की चपेट में आने की अधिक संभावना है। प्रदूषित वायु बच्चों के फेफड़ों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है जिससे उनको बाद में सांस की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसा कि दिल्ली एनसीआर में हवा की क्वालिटी खतरनाक है, तो वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव को देखते हुए माता-पिता को बच्चों को खेल के मैदानों में खेलने और सभी बाहरी एक्टिविटीज को रोकना चाहिए।