ऑफिस में लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले ज्यादा लोगों में गर्दन दर्द की समस्या होना आम बात है। लेकिन ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल ऑफिस जाने वाले लोगों में ही पायी जाती है। इन समस्याओं के अलावा मोच या भारी सामान उठाने के दौरान मांस-पेशियों में खिंचाव हो जाने की वजह से भी दर्द हो सकता है। दरअसल हमारी गर्दन रीढ़ की हड्डी से जुड़ी होती है। रीढ़ की हड्डी में कुल मिलाकर 33 कशेरुकाएं होती हैं जिसमें 7 कशेरुकाएं गर्दन से सम्बन्धित होती हैं। इन कशेरुकाओं को सरवाइकल वर्टिबा कहते हैं। इन कशेरुकाओं से निकली वातनाड़ियां मस्तिष्क, आंख, नाक, माथा, मुंह, दांत कान, तालु, जीभ, थाइरायड ग्रंथि तथा कुहनियों का संचालन करती हैं। इसलिए यदि गर्दन में कोई रोग हो जाता है तो इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर भी पड़ता है। गर्दन के आसपास के मेरूदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और गर्दन के कशेरुकाओं के बीच के इंटरवर्टिब्ल डिसक में कैल्शियम का डी जनरेशन इन डिस्क के अपने स्थान से सरक जाने की वजह से होता है। वृद्धों में सरवाइकल मेरूदंड में डी जेनरेटिव बदलाव साधारण क्रिया है और सामान्यतया इसके कोई लक्षण भी नहीं उभरते।
गर्दन में दर्द होने के कारण
गलत तरीके से उठना-बैठना, लेटना या फिर बहुत मोटी तकिया का इस्तेमाल करना इस दर्द और अकड़ का कारण हो सकता है। इसके अलावा कई घंटों तक एक ही मुद्रा मे बैठे रहने से भी गर्दन दर्द हो सकती है। किसी दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है। अधिक देर तक झुककर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हडि्डयों का विकास सही तरीके से हो सके और हडि्डयों में कोई रोग पैदा न हो सके।
क्या नहीं करना चाहिए
सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।
सोते समय गर्दन के नीचे तकिए का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
किसी भी कार्य को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को तनी हुई और बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न का उपचार करते समय अधिक सोच-विचार नहीं करना चाहिए।
गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए वह कार्य नहीं करना चाहिए जिससे गर्दन या आंखों पर अधिक बोझ या तनाव पड़े।
गर्दन में दर्द – उपाय
गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान के तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए। शरीर में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नींबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन अधिक करना चाहिए। गर्दन में दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी व अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है। प्राकृतिक चिकित्सा के ही एक भाग जल चिकित्सा का सहारा लिया जा सकता है।
रोगी की गर्दन पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। मालिश करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि मालिश हमेशा हल्के हाथों से करनी चाहिए। मालिश यदि सूर्य की रोशनी के सामने करें तो रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। योगासन के द्वारा भी गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक किया जा सकता है। योगासन द्वारा गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए सबसे पहले गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और फिर धीरे-धीरे गर्दन को आगे की ओर झुकाएं। गर्दन से पीड़ित रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी´, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए। संतरा, सेब, मौसमी, अंगूर तथा पपीता व चीकू का उपयोग भोजन में अधिक करना चाहिए।