फल हमारे भोजन का अनिवार्य अंग है। शारीरिक विकास के लिए फलों का सेवन जरूरी है। फल मेहमान-नवाज़ी का एक जरिया है और बीमार स्वजनों के सेहत में सुधार के लिए तो ये किसी उत्प्रेरक से कम नहीं। भारत में फलों की विभिन्न प्रजातियाँ हैं और हर मौसम में पाये-खाये जाने वाले फलों की संख्या भी कम नहीं है। इन फलों में से कुछ ऐसे हैं जिन्हें छिलके उतार कर ही खाया जा सकता है और कुछ तो ऐसे हैं जिनके छिलके लोग जानकारी के अभाव में उतारकर खाते हैं।
छिलके छिल देने से इन फलों के पोषक तत्वों में कमी आ जाती है जो अंतत: शरीर को वो लाभ नहीं दे पाते जिसकी उम्मीद से उसे खाया जा रहा होता है। यहाँ कुछ फलों के विषय में जानकारी दी जा रही है जिन्हें बिना छिलके उतारे खाया जा सकता है।
इन 5 फलों को बिना छिले खाने के फायदे
छीलकर न खाएं चीकू
मिठास और बेहतरीन सुगन्ध युक्त फल चीकू कई गुणकारी पोषक तत्वों की थैली है। उर्जा व स्फूर्ति देने वाले इस फल में सुक्रोज़ व फ्रक्टोज़ होते हैं। विटामिन ए, बी कॉम्प्लेक्स, सी व ई से युक्त चीकू के उबले अर्द्धद्रव्य छिलके बच्चों में डायरिया(लूज़ मोशन) नियन्त्रण में सहायक होते हैं। पोटेशियम व लौह युक्त यह फल पाचन तन्त्र को सुचारू रूप से चलने में मदद करता है।
बीना छीले खाएं सेब
सेब एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लेवेन्वॉयड और खाने योग्य वसा से युक्त होते हैं। ये कैंसर, हाइपर टेंशन और हृदय सम्बन्धी बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं। सेब के छिलके विटामिन व वसा युक्त होते हैं। इनका सेवन अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाने में समर्थ है।
सेब के फायदे – अच्छी सेहत के लिये
किवि
किवि मूल रूप से न्यूजीलैंड में उगने वाला फल है। चीकू डेंगी और चिकेनगुनिया जैसी बीमारी में बीमारों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर खाया जाने वाला फल है। इसके छिलकों में विटामिन सी पायी जाती है। इसका सेवन शरीर में वसा की आपूर्ति करता है।
आम
भारत में उगने वाले आम अपने उत्कृष्ट स्वाद के लिए विश्व विख्यात हैं। देखने में सुन्दर होने के साथ ही ये बहुपयोगी होते हैं। अमठ बनाना हो चाहे जीभ के स्वाद के लिए अचार की जरूरत को आम पूरा करते हैं। आम के छिलके पॉलीफेनॉल्स, केरोटेन्वॉयड्, एस्कॉर्बिक अम्ल का स्रोत है। ये सब कैंसर प्रतिरोधक होते हैं और शरीर को इस बीमारी से लड़ने में सहायता करते हैं।
इन्हीं तत्वों के कारण छिलके लगे आमों का अचार बनाकर उन्हें सहेज कर रखा जाता है और भोजन के साथ इसे बेमौसम भी खाया जा सकता है। आमों में पेक्टिन पाये जाते हैं जो शरीर में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। इस तरह से यह दिल सम्बन्धी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं।
बाबूगोशा
कैंसर प्रतिरोधी फायटोन्युट्रिएंट जैसे क्लोरोजेनिक अम्ल, जेन्टिसिक अम्ल, फेरुलिक अम्ल और फ्लेवोनॉल्स की झोली कहा जाने वाला बाबूगोशा भारत में आसानी से पाया जाने वाला फल है। मधुमेह के प्रकार 2 और हृदय सम्बन्धी विभिन्न बीमारियों में यह फल काफी कारगर है।
आसानी से सुपाच्य बाबूगोशा कब्ज़ के उपचार में मदद करता है। अल्प कैलरी और उच्च वसा युक्त बाबूगोशा में पाये जाने वाले इन महत्तवपूर्ण पोषक तत्वों के कारण ही छिलके के साथ इसका उपयोग शरीर के लिए अधिक फायदेमंद होता है।
इसलिए अगर आप इन फलों का भरपूर स्वाद और सेहत सम्बन्धी समस्त फायदों का लाभ लेना चाहते हैं तो इन्हें खाएं, मगर बिना छिलका छिले।