पीला ज्वर को पीत ज्वर के नाम से भी जानते हैं। यह बहुत ही गंभीर रोग है जैसे डेंगू, मलेरिया एक वायरस संक्रमण से होता है। वैसे ही पीला ज्वर होने का कारण वायरस संक्रमण ही है। यह स्टीगोमिया नामक मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन के समय मनुष्य को काटता है। इसमें पीलिया होने के लक्षण भी दिखाई देते हैं। ऐसे में रोगी की त्वचा पीली और आँखों में पीलापन दिखाई देने लगता है। पीला ज्वर अक्सर आरएनए नामक वायरस के कारण फैलता है। इस रोग को पैदा करने वाले मच्छर बंदरगाहों और जहाजों के आसपास होते हैं। इस रोग से हमारा पूरा शरीर प्रभावित होता है।
पीला ज्वर के प्रकार
पीला ज्वर के तीन प्रकार होते हैं
1. हल्का
2. तीव्र
3. दुर्दम्य
जो हल्का ज्वर होता है वो तीन से चार दिन तक रहता है। उसमें हमें बुखार, सिरदर्द, वमन, पीलिया आदि का सामना करना पड़ता है, लेकिन तीव्र ज्वार की तीन अवस्थाएं होती है, जो इस प्रकार से हैं।
1.क्रियाशील
इसमें हमें सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द, भूख में कमी, उल्टी आदि का लक्षण दिखाई देते हैं।
2. परिहार
इसमें बुखार कम होता है, साथ ही अन्य लक्षणों में भी कमी होती है।
3.दौर्बल्य
इसमें तेज बुखार, पीलिया, कॉफी के रंग की वमन, काले दस्त, रक्तचाप में कमी आदि का सामना करना पड़ता है। गंभीर अवस्था में यूरिन का आना बंद हो जाता है।
यह रोग लगभग दस दिन तक रहता है, अगर यह घातक न हुआ हो तो रोगी को धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होने लगता है। इसका आक्रमण दूसरी बार नहीं होता। अगर किसी कारणवश यह दोबारा हो जाता है, तो यह बहुत ही घातक हो सकता है।
इसके अन्य लक्षण
1. अनियमित ह्रदय गति
2. रक्तस्त्राव
3. बुखार
4. सिरदर्द आँखें लाल होना
5. झटके आना
6. खून की उल्टी होना
7. पीली त्वचा आदि ।
पीला ज्वर – कारण
येलो फीवर एक वायरस के द्वारा उत्पन्न होता है। यह मच्छर के काटने से होता हैं तथा यह वायरस मनुष्य और बानर में सबसे अधिक संक्रमित होता है। जब संक्रमित मच्छर किसी अन्य संक्रमित मनुष्य या बानर को काटता है, तो यह वायरस उसके रक्त में चला जाता है और रोग को उत्पन्न कर देता है। जब दो व्यक्तियों के बीच निकट संपर्क हो तो यह वायरस नहीं फैलता।
येलो फीवर में परहेज और क्या खाना चाहिए
इसमें हमें फल और हरी सब्जियों का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए और अंडे और चिकन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
पीला ज्वर – घरेलू उपचार
येलो फीवर बहुत ही खतरनाक बीमारी है, लेकिन जब हम इसका इलाज करवाते हैं, तो आसानी से इस पर काबू पा सकते हैं। इसके साथ हम कुछ घरेलू उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि…
तुलसी और काली मिर्च
आधा लिटर पानी में आधा चम्मच काली मिर्च और कुछ तुलसी के पत्ते डाल कर उबालें। इस पानी में तीन चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लेने से आप ठीक हो जाएंगे।
प्याज
प्याज को गर्म करके इसका रस निकाल लें और फिर शहद की कुछ बूंदे डालकर अच्छे से मिलाएं। उसका सेवन करने से आप का बुखार कम हो जाएगा।
लहसुन
जब हमें बार-बार उल्टी आती है, तो हमें कमजोरी का एहसास होने लगता है। ऐसे में लहसुन की दस कलियों को लेकर उसका रस निकाल लें, फिर उसमें शहद मिलाकर सुबह और शाम को खाने से आप ठीक महसूस करेंगे।
नारियल पानी
पीले बुखार में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए दिन में तीन बार नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।
गन्ने का रस
डिहाइड्रेशन का खतरा पीले बुखार में होता है, ऐसे में हमें गन्ने के रस का सेवन करना चाहिए। इससे हमारे शरीर में स्फूर्ति आती है और गन्ने के रस से शरीर की मांसपेशियों में ग्लूकोज की आपूर्ति होती है।
नींबू और नमक
डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर रोगी ज्यादा थका हुआ लगता है। ऐसे में एक गिलास पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदे और नमक मिलाकर पीने से रोगी को देने से उसे बुखार में राहत का एहसास होता है और इससे रोगी में पानी की कमी पूरी हो जाती है साथ ही उसे ऊर्जा भी मिलती है।