हाइपरथाइरॉयडिज्म: क्या है और जाने इसके लक्षण

हाइपरथाइरॉयडिज्म लोगों में बहुत ही आम बीमारी है जो महिलाओं और पुरुषों में होता है। यह थायराइड ग्रंथि के आकार को बढ़ाने के लिए थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करती है और थायराइड हार्मोन की अत्यधिक मात्रा में उत्पादन करती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं

हाइपरथाइरॉयडिज्म क्या है

हाइपरथाइरॉयडिज्म थायराइड की एक स्थिति है। थायराइड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि या ग्लैड है, जिसक स्थान आपके गले के बीचोबीच है। यह टेट्राआयोडोथायरोनिन (टी4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) दो प्राथमिक हार्मोन उत्पादन करते हैं। ये थायरॉइड हार्मोन शरीर की तमाम कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म की क्रियाओं को काबू कर संतुलित करते हैं। हाइपरथाइरॉयडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि टी4, टी3, या दोनों को बहुत ज्यादा उत्पादन करता है।

हाइपरथाइरॉयडिज्म के कारण

हाइपरथाइरॉयडिज्म अलग-अलग स्थितियों से हो सकता है। ग्रेव रोग, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, हाइपरथाइरॉयडिज्म का सबसे आम कारण है। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है ऑटोइम्यून थायरॉइड बीमारी। इसे ग्रेव डिसीज भी कहते हैं। अन्य कारणों में मल्टीनोड्युलर गॉइटर, सॉलिटरी थायरॉइड नोड्यूल और थायरायडायटिस शामिल हैं। कब्र्स की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक बार होती है। यह रोग आनुवंशिक भी हो सकता है इसलिए यदि आपके रिश्तेदार में किसी को यह बीमारी है तो अपने डॉक्टर से जरूर दिखाएं।

हाइपरथाइरॉयडिज्म के अन्य कारण

हाइपरथाइरॉयडिज्म के लक्षण

टी4, टी3, या दोनों की उच्च मात्रा एक अत्यधिक उच्च मेटाबॉलिक दर का कारण हो सकती है। इसे हाइपर मेटाबोलिक स्थिति कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में…

  1. हाइपर मेटाबोलिक अवस्था में आपका दिल तेजी से थड़कने लगेगा।
  2. इससे आपको उच्च रक्तचाप और हाथ झटकने जैसा अनुभव हो सकता है।
  3. आपको बहुत अधिक पसीना आ सकता है तथा गर्मी बर्दाश्त नहीं होगी।
  4. हाइपरथाइरॉयडिज्म में आपको मल त्याग बार-बार हो सकता है।
  5. हाइपरथाइरॉयडिज्म में वजन घटने लगता है और त्वचा की समस्या आने लगती है।
  6. महिलाओं में अनियमित माहवारी चक्र हो सकता है।
  7. आंखों का आकार बड़ा होना, आंखों में दर्द, लालपन और हार्टफेल जैसी समस्याएं होती हैं।
  8. इससे सोने में परेशानी आ सकती और खुजली होती है।
  9. मतली और उल्टी तथा बाल झड़ने की समस्या भी देखी गई।

हाइपरथाइरॉयडिज्म के लक्षण को कैसे कम किया जाए

कैल्शियम और सोडियम पर ध्यान देने के साथ डाइट को फॉलो कीजिए। इससे आपको हाइपरथाइरॉयडिज्म को रोकने में मदद मिलेगी। अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद डाइट को फॉलो कीजिए तथा नियमित रूप से व्यायाम कीजिए।
हाइपरथाइरॉयडिज्म आपकी हड्डियों के कमजोर और पतले होने के कारण भी हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है। यह हड्ड़ी से संबंधित बीमारी है। उपचार के दौरान और बाद में विटामिन डी और कैल्शियम की खुराक लीजिए जिससे हड्डियों को मजबूत करने में सहायता मिल सकती है। आपका डॉक्टर आपको बता सकता है कि हर दिन विटामिन डी और कैल्शियम कितना लेना है।

हाइपरथाइरॉयडिज्म का इलाज

दवाएं- मेथिमोजोल (मेथिमेज), कार्बिमेजोल (नियोमरकेजोल) या प्रोपिलथियोरासिल (पीटीयू), बीटा ब्लॉकर्स से सपोर्टिव इलाज
सर्जरी- आंशिक या पूर्ण थायरोडेक्टॉमी
रेडियोएक्टिव आयोडीन