एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। यह इम्यून सिस्टम ही है जिससे शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। इम्यून सिस्टम देखने के लिए सीडी-4 टेस्ट कराया जाता है। सीडी-4 शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने का कार्य करती है। सामान्य व्यक्ति में 1500 तक सीडी-4 होती हैं।
अनट्रीटेड एचआईवी न केवल सीडी4 कोशिकाओं को संक्रमित करता है बल्कि उसे नष्ट भी करता है। समय बीतने के साथ एचआईवी ज्यादा से ज्यादा सीडी 4 कोशिकाओं को नष्ट करता है। इस तरह शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमण के चपेट में आ जाता है।
आपको बता दें कि एड्स एक ऐसी बीमारी है जो एचआईवी वाले लोगों में विकसित होती है। एड्स एचआईवी का सबसे उन्नत चरण है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को एचआईवी है तो वह एड्स मरीज हो सकता है।
इन वजहों से होता है एड्स
- अनसेफ सेक्स (बिना कनडोम के) करने से
- संक्रमित खून चढ़ाने से
- एचाअईवी पॉजिटिव महिला के बच्चे में
- एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार यूज करना
- इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करना
एचआईवी के लक्षण?
- सिरदर्द और अन्य दर्द तथा पीड़ा
- सूजे हुए लिम्फ नोड
- बुखार
- रात को पसीना
- थकान
- जी मिचलाना
- उल्टी
- दस्त
- वजन का घटना
- त्वचा के चकत्ते
- निमोनिया
- दाद
- सांस लेने में समस्या
- गले में खराश रहना
- ठंड लगना
विश्व एड्स दिवस की शुरुआत कैसे हुई ?
विश्व एड्स दिवस सबसे पहले अगस्त 1987 में जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम के व्यक्ति ने मनाया था। जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर विश्व स्वास्थ्य संगठन में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम के लिए अधिकारियों के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में नियुक्त थे।
जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान के सामने विश्व एड्स दिवस मनाने का सुझाव रखा। जोनाथन को विश्व एड्स दिवस (World Aids Day) मनाने का विचार अच्छा लगा और उन्होंने 1 दिसंबर 1988 को विश्व एड्स डे मनाने के लिए चुना। बता दें कि आठ सरकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में विश्व एड्स दिवस शामिल है।