हेपेटाइटिस बी क्या है – कारण, लक्षण और उपचार

आज हम आपको बतायेंगे कि हेपेटाइटिस बी क्या है! हेपेटाइटिस बी एक वायरस रोग है जो हेपेटाइटिस बी के कारण फैलता है। इस रोग के कारण लिवर पर सूजन पैदा हो जाती है। इस रोग को साधारण भाषा में पीलिया भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस बी के मरीजों को कई बार इसकी तकलीफ लंबे समय तक नहीं होती। जिसके कारण उन्हें इस रोग के बारे में पता नहीं चल पाता। थोड़े समय तक संक्रमित रहने के बाद ठीक हो जाता है। कभी कभी यह वायरस लंबे समय का होता है जिसे क्रोनिक हेपेटाइटिस बी कहते हैं।

समय के साथ साथ यह आपका लिवर क्षतिग्रस्त कर सकता है। लिवर कैंसर के 60 प्रतिशत मामलों का मुख्य कारण हेपेटाइटिस बी होता है। आइये जानते हैं हेपेटाइटिस बी के लक्षण, कारण और निदान के बारे में।

हेपेटाइटिस बी के कारण – Hepatitis B ke karan in hindi

हेपेटाइटिस बी एक वायरस रोग है जो हेपेटाइटिस बी नामक वायरस के द्वारा फैलता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के ब्लड और तरल पदार्थो के संपर्क में आने से फैलता है। हेपेटाइटिस बी के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार से है :-

• हेपेटाइटिस बी संक्रमण हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) द्वारा होता है।
• संक्रमित साथी के साथ असुरक्षित यौन कार्य करने से।
• हेपेटाइटिस बी से संक्रमित सुई, ब्लेड जैसे उपकरणों का इस्तेमाल करने से।
• रक्त चढ़ाने से ।
• हेपेटाइटिस बी से संक्रमित माँ।
• अस्वच्छ सुईयों द्वारा टैटू और एक्यू पंक्चर ।
• वायरस ग्रस्त व्यक्ति की वस्तुओं का उपयोग करना ।

ध्यान दीजिए, किसी अस्थाई संपर्क जैसे गले लगना, छींक, खांसी, भोजन या पेय पदार्थ को बाँट कर खाने से हेपेटाइटिस बी नहीं होता।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण – Hepatitis B ke Lakshan in hindi

अधिकतर मामलें में हेपेटाइटिस बी के लक्षण काफी समय तक नजर नहीं आते जिसके कारण रोगी को पता नहीं चल पाता। इसके सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं…

• त्वचा का पीला होना
भूख कम लगना
• यूरिन का पीला होना
• कमजोरी
• सिर दर्द
• बुखार
• जी मचलना
• खुजली
• उल्टी आदि।

हेपेटाइटिस बी के लिए घरेलू उपचार – Hepatitis B Home Remedies in hindi

मूली का रस व पत्ते

हेपेटाइटिस बी या पीलिया में मूली बहुत ही लाभकारी होती है। पीलिया में मूली के पत्ते बहुत गुणकारी होते हैं। यहीं नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से बिलीरुबिन को निकाल दें। पीलिया या हेपेटाइटिस बी के लोगों को दिन में कम से कम 2 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिए।

टमाटर का रस

 

टमाटर में वसा, कोलेस्ट्रोल, कैलोरी और सोडियम स्वाभिक रूप से कम होता है। टमाटर में थियमिन, विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबा, विटामिन सी आदि मौजूद होते है, जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं। इसलिए इसका सेवन हेपेटाइटिस बी में बेहद लाभकारी है। टमाटर के रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर पीना चाहिए।

आंवला

आंवले में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा मौजूद होती है। आप पीलिया में कच्चा आंवला, सुखा हुआ आंवला या फिर इसके रस को भी प्रयोग में ला सकते हैं।

नीम

नीम हेपेटाइटिस बी के इलाज में बहुत उपयोगी होती है। इसका मुख्य कारण है कि इसमें कई तरह के वायरस विरोधी घटक मौजूद होते हैं। हेपेटाइटिस बी होने पर नीम की पत्तियों का रस शहद में मिलाकर पीना चाहिए।

हल्दी

कुछ लोगों को इस बात का बहम है कि हल्दी का रंग पीला होता है। इसलिए पीलिया होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए। जबकि हल्दी एंटी इन्फ्लेमेट्री, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी माइक्रोबियल प्रभाव वाली तथा बढ़े हुए यकृत नलिकाओं को हटाने वाली होती है।

अर्जुन की छाल

अर्जुन की छाल को दिल और मूत्र प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। जबकि इसमें मौजूद एल्केलाइड जिगर में कोलेस्ट्रोल के उत्पादन को विनियमित करने की क्षमता भी रखते हैं।