कोरोना वायरस (कोविड-19) ने हमारी लाइफस्टाइल और सोचने के तरीकों को बदल दिया है। कैसे रहना है, लोगों से कैसे मिलना है और क्या खाना है, इन सब सवालों पर
कोरोना का असर साफ देखा जा सकता है। एक करोना कोरोना ने हमारे व्यवहार को बदला है, तो वहीं दूसरी तरफ इसने हमें मानसिक रूप से बीमार भी किया है।
कोरोना काल में जिस तरह के मानसिक स्वास्थ्य विकारों के मामले सामने आ रहे हैं , उनमें कोरोना संक्रमण का डर, बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता, नौकरियों का छूट जाना तथा वित्तीय असुरक्षा प्रमुख है। इस तरह की स्थिति ही व्यक्ति के तनाव और अवसाद का मुख्य कारण बन गयी है। मानसिक तनाव और अवसाद के कारण आत्महत्याओं के मामले भी बढ़े हैं।
विश्व में कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य विकार के मामलों में तेजी आयी है, लेकिन इस स्थिति से रोगियों को उबारने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों तथा मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत भी रंग लाई है और इसके मरीज स्वस्थ हुए हैं। मानसिक रोगियों की काउंसलिंग और उपचार करने की जिम्मेदारी विशेषज्ञ बखूबी वहन कर रहे हैं।
क्या किया जाए
1. यह एक बुरा वक्त है और यह वक्त एक ना एक दिन जरूर जाएगा, इसलिए अंदर से खुद को मजबूत कीजिए।
2. खुद को कामो में व्यस्त रखिए और कुछ रचनात्मक कार्य कीजिए।
3. ध्यान लगाना और व्यायाम करना मत भूलिए। कम से कम एक घंटा तो जरूर अपने शरीर और मन के लिए दीजिए।
4. किताबें पढ़े, खासकर आध्यात्मिक किताबे पढ़ने पर जरूर ध्यान दें।
5.काउंसलिंग और उपचार के लिए मानसिक रोग विशेषज्ञों के संपर्क में रहें।