प्रदूषण एक समस्या, बढ़ रही है अस्थमा मरीजों की संख्या

सीने में जकड़न, सांस लेने में होने वाली तकलीफ और खांसी या खराश ये कुछ ऐसे लक्षण है जिसकी वजह से अस्थमा को पहचाना जा सकता है। यह तब होता है जब श्वसन मार्ग में सूजन आ जाता है।

आज बढ़ते प्रदूषण की वजह से अस्थमा के रोगियों की सख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अगर देखा जाए तो पिछले कुछ वर्ष में बढ़ते प्रदूषण के चलते तेजी से अस्थमा के मरीज बढ़े हैं।

इसके अलावा बीते एक साल में शहरी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर करीब 15 फीसदी बढ़ गया है, जबकि अस्थमा के मरीजों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

अस्थमा रोग से पीड़ित लोग

अस्थमा के मरीजों के मामले में भारत अन्य देशों के तुलना में काफी आगे है। एक तरफ जहां विश्व में 35 करोड़ लोग अस्थमा रोग से पीड़ित हैं। वहीं भारत में भी दस करोड़ लोग इस रोग से जकड़े हुए हैं। यह रिपोर्ट साल 2016 की है।

भारत के 13 शहर शामिल

विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु प्रदूषण डेटाबेस के मुताबिक, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहर शामिल हैं। हवा में कई सारे छोटे-छोटे कण होते हैं, जो फेफड़ों में घुस कर काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

बच्चों अस्थमा का ज्यादा असर

अस्थमा बीमारी से सबसे ज्यादा बच्चे और बूढ़े परेशान रहते हैं। बदलते लाइफस्टासइल के चलते ये बीमारी बच्चों में भी फैल रही है। मौजूदा वक्ते में कुल 12 प्रतिशत शिशु अस्थलमा से पीड़ित हैं। एक अनुमान के मुताबिक सड़क किनारे मौजूद स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अस्थमा होने का खतरा ज्यादा होता है। सड़क किनारे लगने वाले ट्रैफिक जाम बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में बच्चे लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं और इस वजह से बच्चों में सूक्ष्म खनिज तत्वों की कमी देखने को मिलती है।

लंबे समय तक चलती है अस्थमा की दवाईयां

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसकी दवाईयां लंबे समय तक चलती है। कई बार अस्थमा पीड़ित मरीजों को देखा गया है कि स्थिति में थोड़ा सुधार आता है, तो मरीज दवाई को लेना बंद कर देते हैं। इससे समस्या और बढ़ सकती है। क्योंकि दवाई बीच में छोड़ने से फिर अस्थमा बढ़ सकता है।

क्या है यह बीमारी

अस्थमा एक जेनेटिक बीमारी है। आमतौर पर देखा गया है कि लोग बचपन में ही इसके चंगुल में फंस जाते हैं। प्रदूषण व जेनेटिक क्रिया के कारण लोगों में यह बीमारी देखी जाती है। सांस में सूजन व इसके छिद्रों के बंद पड़ने से अस्थमा की समस्या देखी जाती है। सांस लेने में तकलीफ, सांस छोड़ते समय आवाज निकलना, अत्यधिक खांसी का होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। इसकी पहचान के लिए नियमित रूप रक्त परीक्षण और छाती का एक्स-रे करवाना पड़ता है।