पायरिया एक ऐसा रोग है, जिससे अधिकतर लोग अपने जीवन में अनुभव करते हैं। इसमें मूंह से मवाद और दांतों का ढीलापन आदि समस्या देखने को मिलती है। आज हम पायरिया रोग के लिए प्रभावशाली तेल के बारे में जानेंगे लेकिन उससे पहले जानते हैं कि पायरिया रोग के कारण और लक्षण क्या है।
पायरिया रोग के कारण
दरअसल पायरिया एक दंत रोग है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है। खराब खाने की आदत, सफेद ब्रेड का ज्यादा सेवन और रेड मीट इसके रोग के जिम्मेदार है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि पुरानी बीमारियों, ग्रंथियों संबंधी विकार, रक्त रोग और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली आदि ये सभी पायरिया रोग के कारण है।
पायरिया रोग के लक्षण
पायरिया रोग के शुरुआती लक्षण मसूड़ों में दिखाई देने वाले परिवर्तन शामिल होते हैं। रोग के शुरुआत में मसूड़ों से खून आता है। जैसे-जैसे यह बढ़ता है, मसूड़े दांतों से निकल जाते हैं। इसमें हड्डियों की संरचना जो दांतों का समर्थन करती है, वह नष्ट हो सकती है। आइए जानते हैं क्या है इसके लक्षण
- मसूड़ों का सूजन
- दांतों का ढीलापन
- मुंह के छालें
- फोड़े
- मसूड़ों से निकलना
पायरिया रोग के लिए प्रभावशाली तेल
सरसों का तेल
सरसों का तेल अपने बेहतरीन फायदों के लिए जाना जाता है। भारत में इसे कई सालों से खाना पकाने के अलावा त्वचा और बालों के प्रयोग में लाया जा रहा है। सरसों का तेल सेहत और सुंदरता दोनों के ही लिए बहुत लाभकारी है। कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर सरसों के तेल दर्दनाशक का काम करता है। यह जोड़ों के दर्द के अलावा कान का दर्द और दांत के दर्द में बहुत ही उपयोगी है।
यह पायरिया रोग में घरेलू उपचार के तौर पर काम करता है। सरसों के तेल के साथ अपने मसूढ़ों को मालिश करें, पायरिया रोग के उपचार में बहुत प्रभावी है। इसके लिए आप अपने दांतों को ब्रश करने के बाद, आप कुछ सरसों का तेल ले सकते हैं और इसमें एक चुटकी नमक डाल सकते हैं। फिर इसे मसूड़े की मालिश कीजिए। मसूड़ों में अधिक दर्द होने पर, आप इस मिश्रण में कॉटन बॉल को भिगो सकते हैं और अपने मसूड़ों की मालिश कर सकते हैं।
तिल का तेल
तिल के तेल से हमें कई तरह के फायदे मिलते हैं। तिल के तेल को आप तरह-तरह से उपयोग कर सकते है और निखरी त्वचा के साथ-साथ खूबसूरत बाल पा सकते है। इसके अलावा यह बालों से जुड़ी हर समस्या का हल भी है। ये बालों को भीतर से पोषित करके उनकी जड़ों को मजबूती देने का काम करता है।
पायरिया रोग में इसे रामबाण उपचार के तौर उपयोग में लाया जाता है। इसके लिए आप मुंह में तिल के तेल को डालिए और 10 मिनट के लिए रोक के रखिए। फिर कुछ सेकंड के लिए अपने मुंह के अंदर तेल को घुमाइए और फिर बाहर थूक दीजिए। यह आपके मसूड़ों के दर्द को शांत करेगा और मसूड़े की समस्या को दूर करेगा। यह अन्य दंत समस्याओं के उपचार में भी प्रभावी है।
अरंडी का तेल
औषधीय तेल के रूप में प्रसिद्ध अरंडी का तेल कई बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस तेल को बनाने के लिए बीजों का उपयोग किया जाता है, इसके बीजो को दबाकर तेल निकाला जाता है। यह एक वनस्पति तेल है और इसका पौधा काफी हद तक अफ्रीका और इंडिया में पाया जाता है।
अरंडी का तेल पायरिया रोग में घरेलू नुस्खे के तौर पर काम करता है। इसके लिए आप 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 100 मिलीलीटर शहद और 5 ग्राम कपूर को मिलाकर अच्छा पेस्ट तैयार कर लें। फिर इस पेस्ट में नीम की दातून को डूबोएं और दांतों तथा मसूड़ों पर इसकी मसाज करे। यह अपने सर्वोत्तम परिणामों के लिए जाना जाता है।