मौसम बदलता नहीं कि संक्रामक रोगों से पीडित रोगियों की संख्या धड़ल्ले से बढ़ने लगती है। चिकन पॉक्स, खसरा, काला जार व डायरिया का संक्रमण भी फैलने लगता है। चिकन पॉक्स को एक संक्रामक बीमारी का नाम दिया गया है। बता दें कि चिकन पॉक्स छोटी चेचक नाम से भी जानी जाती है। इस संक्रमण का यूं तो बच्चों पर ही हमला होता है लेकिन यह 1 से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में ज्यादातर पायी जाता है। कई दिनों से लगातार बीमार रहने पर भी यह इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं, खान-पान में आई अनियमितता भी इस बीमारी का प्रमुख कारण होती है। तेजी से खुजली होना, लाल दाने निकल आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।
क्या है चिकन पॉक्स के कारण :
चिकन पॉक्स की बीमारी ठीक ढंग से नहीं खाने और पीने से होती है। जैसे कि दूषित भोजन या पानी का सेवन कर लेने से या फिर खुला खाद्य पदार्थ खा लेने से इस गंभीर बीमारी को दावत देने जैसा होता है।
अत्यधिक ठंड या गर्म होने से भी यह बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। हवा में मौजूद बेरीसेला वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय होता है जो बच्चों को खासकर प्रभावित करता है।
वहीं जिन बच्चों की त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती है, उन्हें चिकेन पॉक्स होने की संभावना भी ज्यादा होती हैं।
ज्यांदा कड़े साबुन या ज्यादा देर तक नहाने से भी यह इंफेक्शन हो जाता है।
ज्यादा छोटे बच्चों में मां के दूध को एकाएक छोड़कर कुछ और खाने का चीज़ खिलाने से भी यह इंफेक्शन फैल सकता है।
क्या है चिकन पॉक्स के लक्षण –
चिकन पॉक्स होने पर सबसे पहले बच्चों में बुखार आता है जो दो दिनों तक रहता है। फिर शरीर में छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। छह दिन बाद यह दाने खुद ही समाप्त हो जाते हैं लेकिन ऐसे समय में पीडि़त बच्चा बहुत कमजोर हो जाता है और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी कमजोर हो जाती है।
इस बीमारी की शुरुआत लाल उभरे दाने से होती है।
यही लाल दाने बाद में फफोलों में बदल जाते हैं।
मवाद आने लगता है, जो बाद में फूटकर खुरदुरा हो जाता है।
यह मुख्य रूप से चेहरे, खोपडी, रीढ और टांगों पर दिखाई देती है। इसमें तेज खुजली भी होती है।
बता दें कि भूख ना लगना, उल्टी होना इसका प्रमुख लक्षण माना जाता है।
चिकन पॉक्स से कैसे बचें –
चिकन पॉक्स जैसी गंभीर बीमारी से बचना है तो सबसे पहले आप अपने खान-पान का ध्यान रखना शुरू कर दें। खुले में रखा कुछ भी खाने के चीज़ों को बिल्कुल भी हाथ ना लगाएं।
ध्यान रहें, चिकन पॉक्स एक संक्रमण की बीमारी होती है जो एक व्याक्ति से दूसरे में बहुत जल्दी से फैल सकती है। इसलिए जिसे भी यह बीमारी हुई हो वह अपने आस-पास के लोगों से दूर रहें जिससे इंफेक्शन का खतरा न हो।
स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चा यदि बीमार है तो उसे स्कूल न भेजें ताकि दूसरे बच्चे इस बीमारी के चपेट में न आएं।
यह बीमारी खतरनाक तो नहीं लेकिन गंभीर जरूर है क्योंकि यह बच्चे के शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। जैसे भी इस बीमारी के लक्षण दिखें तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।
इस बीमारी से बचना है तो बच्चों का बचाव ठंड से करें, क्योंकि ठंडी हवा में इस बीमारी का वायरस बेरीसेला ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
चिकन पॉक्स के इलाज के लिए कई प्रकार की दवाईयां और वैक्सीन बाजार में मौजूद हैं। इनका प्रयोग करके इस बीमारी से निजात पायी जा सकती है।