ब्रेन स्ट्रोक किसी हार्ट अटैक की ही तरह है। स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक हमें तब होता है, जब हमारे मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्तप्रवाह कम हो जाता है या फिर हमारे मस्तिष्क के किनारे में रक्तप्रवाह में लीकेज हेमरेज होता है। ब्रेन हमारे शरीर का सीपीयू है और ब्रेन स्ट्रोक की वजह से मस्तिष्क के किसी हिस्से पर पड़ने वाले असर के मुताबिक यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। इसका सबसे गहरा असर हमारे शरीर में लकवा होने पर नजर आता है, लेकिन इसका असर हमारे चलने, बोलने की क्षमता का कम होना, हमारे चेहरे के हिस्से में बदलाव होना आदि में भी देखा जा सकता है। इसके होने से व्यक्ति बिस्तर को पकड़ लेता है या फिर उसकी मृत्यु भी हो जाती है।
किसी भी उम्र में हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक
ब्रेन स्ट्रोक भी हार्ट अटैक की तरह खतरनाक होता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह एक जानलेवा बीमारी है और कई मामलों में इसका असर बद से बदतर भी हो सकता है। मस्तिष्क में खून पहुंचाने वाली आर्टरी में क्लोट्स बनने के बाद क्लोट्स खुद ही खत्म हो जाते हैं, लेकिन ऐसा होने के बाद क्लोट्स को खत्म करने के लिए इलाज करवाने में हमें अधिक देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से खतरा बढ़ सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार
ब्रेन स्ट्रोक मुख्यतः दो प्रकार के पायें जाते हैं
1.इस्केमिक स्ट्रोक
2.हेमरेजिक स्ट्रोक
इस्केमिक स्ट्रोक
80 फीसदी स्ट्रोक जो होते हैं, वो इस्केमिक स्ट्रोक होते हैं क्योंकि यह हमारे मस्तिष्क तक रक्त पहुंचने वाली एक आर्टरी में रक्त का क्लोट्स बनने की वजह से होते हैं।
हेमरेजिक स्ट्रोक
20 फीसदी स्ट्रोक हेमरेजिक स्ट्रोक के कारण होते हैं, जिससें ब्लड क्लोट्स की वजह से आर्टरी में नुकसान होता है या फिर हमारे मष्तिष्क में हैमरेज होता है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
किसी भी व्यक्ति का स्ट्रोक ठीक हो सकता है, बस हमें उसके लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और चार घंटो के भीतर उसे डॉक्टर के पास पहुंचाना होता है। इन चार घंटों को गोल्डन आवर माना जाता है। इस दौरान हमारा स्ट्रोक ठीक हो सकता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं-
1. चलने में परेशानी
2. संतुलन की कमी
3. बोलने में दिक्कत
4. सिर में अत्यधिक दर्द का होना
5. शरीर के एक हिस्से में लकवा
6. अस्पष्ट दृष्टि
ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ नियम
रक्तचाप का जानना और उस पर नियंत्रण
अगर हाई ब्लडप्रेशर का पारिवारिक इतिहास रहा हो, तो हमें हर छह महीने में अपने खून की जांच करवाते रहना चाहिए और अगर आप की उम्र 25 से अधिक हो गई है, तो आप को साल में एक परीक्षण जरूर करवाना चाहिए। शरीर के संकेतों को समझते हुए स्ट्रोक को खुद से दूर रखने के लिए रक्तचाप को नियंत्रण रखिए।
दिल का हाल जानना जरूरी
एट्रियल फाइब्रिलेशन दिल की धड़कन के अनियमित होने का संकेत है जो ब्लड क्लॉट्स, स्ट्रोक, हार्ट फेल या दिल की अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।
शुगर और स्ट्रेस नियंत्रण रखें
डायबिटीज से जो ग्रसित हैं, उन्हें आहार- व्यायाम, दवाओं के माध्यम से ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रण में रखना बहुत ही जरूरी है। साथ ही रोजाना के तनाव को नियंत्रण करने के लिए मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। और साथ में जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती जाती है, उन्हें अपने खानपान के साथ-साथ नमक कम खाने की आदत डाल लेनी चाहिए।
धुम्रपान बढ़ता है ब्लड क्लाटिंग
कई लोग मानते हैं कि धूम्रपान करने से उन्हें राहत मिलती है और साथ में उनका तनाव भी कम होता है जबकि यह गलत है धूम्रपान करने से ब्लड क्लाटिंग का खतरा होता है और साथ में जो तम्बाकू का सेवन करते हैं, उन्हें भी इसका खतरा रहता है।