आज हम आपको ब्रोंकाइटिस के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानकारी देंगे। ब्रोंकाइटिस साँस में पैदा होने वाली बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में ब्रोन्कियल मार्ग में म्यूकस की परत जम जाती है और उन परतों में सूजन आ जाती है। इस बीमारी को आम भाषा में छाती में सर्दी के नाम से भी जाना जाता है।
ब्रोंकाइटिस मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है
- पहला – एक्यूट ब्रोंकाइटिस
- दूसरा – क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
एक्यूट ब्रोंकाइटिस – Acute Bronchitis
यह वायरस या जीवाणुओं से होती है श्वास नलिका में सूजन आ जाती है। इसमें बलगम अधिक मात्रा में बनने लगती है। इस बीमारी में रोगी को साँस लेने में कठिनाई होती है और सिटी बजने की आवाज आती है। ऐसे में रोगी को कई बार बुखार का सामना भी करना पड़ सकता है। इसमें रोगी 7 से 21 दिनों के बीच ठीक हो जाता है।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस – Cronic Bronchitis
यह एक भयंकर बीमारी होती है यह अक्सर धूम्रपान करने वालों को होती है। बार बार संक्रमण होने पर रोगी की श्वास नली मोटी हो जाती है। सर्दी जुकाम में यह अत्यंत कष्टदायक होती है। इसका मुख्य कारण है धुम्रपान। यह रोग अधिक धूम्रपान करने वालों को हो सकता है। इसमें दिल का दौरा पड़ने की भी संभावना हो सकती है।
आइये विस्तार से बात करते हैं ब्रोंकाइटिस के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में –
ब्रोंकाइटिस के लक्षण – Bronchitis ke lakshan
• ब्रांकाई की सूजन
• साँस लेने में कठिनाई
• साँस के साथ सीटी की आवाज होना
• छाती में दर्द
• सिर दर्द
• थकान
• बुखार और कंपकंपी
• छाती में जकडन
• मांसपेशियों में दर्द
• गले में खराश।
ब्रोंकाइटिस के कारण – Bronchitis ke karan
• वायरस
• बैक्टीरिया
• तंबाकू के धुंए की चपेट में आना
• प्रदुषण
• धूल
• विषैली गैस
• रसायन
• औद्योगिक धुँआ।
ब्रोंकाइटिस का उपचार – Bronchitis ka upchar
1. योग और व्यायाम
रोगी को नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों को अपनाना चाहिए। इससे क्षमता बढ़कर फेफड़ों पर पड़ने वाले जोर को कम करती है। रोगी को हल्के व्यायाम करने चाहिए वो व्यायाम ऐसे होने चाहिए जिससे आपकी मांसपेशियों पर अधिक जोर न पड़े जैसे कि पैदल चलना, तैरना आदि। इसके अलावा गहरी साँस वाले व्यायाम फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं। इसके अलावा रोगी को मेरुदंड, सुखासन और पवनमुक्तासन करना चाहिए। इससे रोगी को बहुत लाभ प्राप्त होता है।
2. आराम करें
ब्रोंकाइटिस में रोगी को भरपूर आराम की आवश्यकता होती है। रोगी जितना आराम करेगा उसका संक्रमण उतना ही शांत रहेगा। इससे रोगी जल्दी ही ठीक हो जायेगा।
3. धुम्रपान से दूरी
ब्रोंकाइटिस के रोगी को धूम्रपान से दूरी बना कर रखनी चाहिए। रोगी को धुंए से बच कर रहना चाहिए क्योंकि धूम्रपान ब्रोंकियल नलिकाओं को उत्तेजित करके उनकी प्रतिरोधक क्षमता को घटाता है।
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4. हाथों को अच्छे से धोएं
अपने हाथों को शौचालय जाने के बाद अच्छे से धोना चाहिए। इसके साथ ही खाना खाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धोना चाहिए। वैसे तो आपको दिन में हर कार्य करने के बाद अपने हाथों को धोने की आदत डालनी चाहिए। इससे वायरस और अन्य संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
5. तरल पदार्थ का सेवन
रोगी को तरल पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही रोगी को रसीले फल जैसे अंगूर, संतरे, सेब आदि का भी सेवन करना चाहिए।