यदि आप योग करने के शौकीन हैं या इसके फायदों को देखते हुए आपने योग करना शुरू कर दिया, तो आपको डेली के रुटीन में अधोमुख शवासन जैसे योग अभ्यास को भी शामिल करना चाहिए। यह एक आसन जिसकी सहायता से आप अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं और अवसाद को दूर कर सकते हैं। यदि नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास किया जाए तो हमारे सिर में खून का संचार सही तरीके से होगा, पाचन क्रिया सही रहेगी और हम तनावमुक्त रहेंगे।
अधोमुख शवासन करने की विधि
सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाइए। इसके बाद अधोमुख शवासन में आइए। इसे हम कुत्ता वाला पोज भी कहते हैं। इसमें पैर की अंगुलियों को मोड़िए। इसके बाद नितंबों को ऊपर की ओर उठाइए और घुटनों को सीधा कीजिए। इसमें आप दोनों हाथों को जमीन या चटाई पर रखें। आपकी हाथों की अंगुलियां फैली होनी चाहिए। ध्यान रहे आपकी पीठ और भुजाएं एक सीध में जबकि सिर केहुनियों के बीच में रहे। इस आसन को करते समय ऐसा लगे कि शरीर त्रिकोण के आकार में हो। इस आसन का अभ्यास आप 10 से 15 तक मिनट कर सकते हैं।
ध्यान दीजिए- जब भी आपको सिर में दर्द हो तब आप इस आसन को ना करें।
अधोमुख शवासन के फायदे
1. इस आसन के करने से शरीर ललीचा हो जाता हैं और बदन में दर्द नहीं रहता।
2. एंड़ियों तथा पिंडलियों की नसों, तंतुओं एवं मांसपेशियों को फैलाता है।
3. इससे ना केवल रीढ़ की हड्डियों में आराम मिलता है बल्कि पीठ के नीचले, मध्य और उपरी भाग में हो रहे दर्द से आराम देता है।
4. इससे हाथ और पैर मजबूत होते हैं।
5. अधोमुख शवासन करने से मस्तिष्क में खून का संचार होता है जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सक्रिय तौर पर काम करती है और चिंता तथा अवसाद भी कम होते हैं।
6. यह एक ऐसा आसन है जिससे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
7. इससे छाती की मांसपेशियों को मजबूत मिलती है।
8. इस आसन की सहायता से पाचन की समस्या में सुधार लाया जा सकता है।
9. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या वाले रोगियों को यह आसन नियमित तौर पर करना चाहिए।
10. यह आसन करते समय हाथ और पैर पर भार बढ़ता है इसलिए इसे करने से हड्डी की कमजोरी दूर होती है।
11. यह सिर की रक्त संचार की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। इस आसन को हम अगर करें तो साइनस, मानसिक थकावट, अवसाद और अनिद्रा की शिकायत से छुटकारा मिलेगा।
नोट: योग के किसी भी आसन को करने से पहले किसी विशेषज्ञ की जरूर सहायता लें।