डिमेंशिया सामान्य रूप से मानसिक शक्ति में कमी के लिए एक सामान्य शब्द है, रोजाना की जिंदगी को प्रभावित करती है। डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर बीमारी है। डिमेंशिया केवल एक ही बीमारी नहीं है। यह एक पूर्ण परिभाषा है जो स्मृति या अन्य सोच कौशल में गिरावट से जुड़ी विशेषताओं को बताती है। मानसिक रोगियों के 60-80 फसीदी मामलों में अल्जाइमर रोग पाया जाता है। स्ट्रोक के बाद होने वाली दूसरी सबसे आम बीमारी डिमेंशिया है। लेकिन कई अन्य स्थितियां भी हैं जो डिमेंशिया करती हैं, जिनमें कुछ परिस्थितियां जैसे थायराइड की समस्याएं और विटामिन की कमी आज हम आपको डिमेंशिया के लक्षण, कारण, जोखिम और उपचार के उपाय बताएंगे।
डिमेंशिया के लक्षण
डिमेंशिया के लक्षण बहुत अलग भी होते हैं, कम से कम निम्न दो मानसिक कार्यों को डिमेंशिया माना जा सकता है:
- याददाश्त में कमी
- संचार और भाषा में कमी
- ध्यान केंद्रित करने और ध्यान देने की योग्यता न रहना
- बहस और एकदम निर्णय लेना
- परिस्थिति की अनुभूति होना
डिमेंशिया वाले लोगों को कम-अवधि की याददाश्त की समस्या होती है, पर्स या वॉलेट को याद रखने, बिलों का भुगतान करने और मुलाकातों को याद रखने में समस्या पैदा होती है।
आप किसी की यादाश्त की कठिनाइयों या सोच में अन्य परिवर्तनों को अनदेखा न करें। कारण का पता करने के लिए जल्द ही एक चिकित्सक को मिलें और इलाज करवाएं।
डिमेंशिया के कारण
डिमेंशिया न्यूरो-डीजेनेरेटिव रोग है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है, जिसे डिमेंशिया का कारण माना जाता है। स्ट्रोक होने पर मस्तिष्क में सामान्य रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे व्यक्ति की मस्तिष्क-कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिलती हैं, और कोशिकाएं मर जाती हैं। कभी-कभी किसी दुर्घटना में या खिलाडियों को खेलते हुए, दिमाग में गंभीर चोट लग जाती है, जिससे उनके मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है और यह भी डिमेंशिया बीमारी का कारण बनती हैं। एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त व्यक्ति में एचआईवी वायरस न्यूरॉन्स से होते हुए मस्तिष्क में पहुँचता है जहां एचआईवी वायरस रोगी की मस्तिष्क-कोशिकाओं को नष्ट करने लगता हैं, जोकि डिमेंशिया जैसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है।
डिमेंशिया के जोखिम
आयु और परिवार के इतिहास– डिमेंशिया विकसित करने के लिए जोखिम वाले कारकों में आयु और परिवार का इतिहास शामिल हैं। जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उनमें डिमेंशिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
डाउन सिंड्रोम– जो लोग डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं, उनमें मध्यम-आयु के समय, अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया की शुरुआत हो सकती है।
ड्रग्स, अल्कोहल और अवसाद – बड़ी मात्रा में शराब पीने से, ड्रग्स लेने से और अवसाद के कारण डिमेंशिया विकसित होने का अधिक खतरा होता है। अल्जाइमर रोग के साथ जुड़े असामान्य जीन की पहचान की गई है, जो डिमेंशिया रोग के विकास में शामिल है। उच्च रक्तचाप, उच्च
कोलेस्ट्रॉल, या मधुमेह जैसी बीमारियां, अल्जाइमर रोग या डिमेंशिया के विकास के जोखिम को बढ़ाती हैं। कुछ दवाएं खाने से भी स्मृति समस्याएं पैदा होती हैं, जो डिमेंशिया की तरह दिखती हैं।
धूम्रपान- अधिक धूम्रपान करने वाले लोगों में संवहनी रोग और साथ ही डिमेंशिया विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
डिमेंशिया के बचाव के उपाय
डिमेंशिया का उपचार और मस्तिष्क के ऊतकों का नुकसान रोकना संभव है। इसके उदाहरणों में चोट से बचना, दवा और विटामिन खाना शामिल है।