ऊंचे आसमान में उड़ते हुए सुपरमैन की अवस्था से प्रेरित यह आसन विपरीत शलभासन के नाम से जाना जाता है। इस वृतांत से ही इस आसन को एक छोटा नाम मिला हुआ है। विपरीत का अर्थ है उल्टा। यह आसन विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से की मासपेशियों को सशक्त करता है। आइये जानते हैं विपरीत शलभासन करने की प्रक्रिया, लाभ और सावधानियों के बारे में।
विपरीत शलभासन करने की विधि
1. सबसे पहले अपने पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद अपनी एडियों को जमीन पर सीधा रखें और अपनी ठोड़ी को जमीन पर विश्राम दें।
2. अपने पैरों को एक दुसरे के पास लेकर जाएं और पंजों को आपस में एक साथ रखें।
3. अब अपने हाथों को जितना हो सके सामने बाहर की ओर खींचें।
4. अब एक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती, पैरों व जांघों को जमीन से उपर उठाएं आप उड़ते हुए सुपर हीरो की तरह लग रहे होते हैं। अपने चेहरे पर मुस्कान लाएं, क्योंकि सुपर हीरों हमेशा खुश रहता है। विशेषत: उड़ते समय अपने हाथों और पैरों को उपर उठाने के स्थान पर उन्हें विपरीत दिशा में खीचने का प्रयत्न करें। शरीर के दोनों विपरीत भागों में लग रहे खिंचाव को महसूस करें। बस इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कोहनियां और एडियां मुड़ी हुई न हो।
5. सजगता पूर्वक सांस लेते रहें अपना ध्यान शरीर और खिचाव की और दें।
6. जब आप अपनी सांस को छोड़ें तब अपनी छाती, हाथों और पैरों को धीरे-धीरे करके नीचे की ओर ले आएं।
विपरीत शलभासन के लाभ
1. इस आसन को करने से रक्त प्रवाह अच्छे तरीके से होता है।
2. इस आसन को करने से पेट तथा पीठ का निचला हिस्सा बेहतर होता है।
3. इस आसन को करने से छाती, कंधे, हाथ, पैर और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान होती है।
4. इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डियों की मालिश होती है और साथ ही आपकी पीठ मजबूत बनती है।
5. यह आसन मानसिक स्तर पर भी कार्य करता है जब आप उठते हैं तब आप वर्तमान अवस्था में रहते हैं। अगर आप चाहे तो भी किसी समस्या के बारे में नहीं सोच सकते।
6. यह आसन पेट के लिए बहुत अच्छा होता है।
विपरीत शलभासन में सावधानियां
1. गर्भवती महिलाओं को इस आसन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
2. यदि जल्द ही पेट की शल्य क्रिया हुई हो तो यह आसन न करें।
पद्मासाधना की प्रक्रिया में भुजंगासन के बाद विपरीत शलभासन पांचवां आसन होता है।