एकाग्रता के बिना किसी भी कार्य को करना आसान नहीं है। क्या हो पढ़ाई और क्या हो ऑफिस का काम आपको हर जगह एकाग्रता की जरूरत होती है। इस लेख से हम आपको बताएंगे कि कैसे योग के माध्यम से एकाग्रता को बढ़ाया जा सकता है।
एकाग्रता बढ़ाने वाले योग
#1 ताड़ासन
ताड़ासन आपकी मुद्रा में सुधार करता है और आपके पैरों को मजबूत करता है। यह आपके श्वास को संतुलित करता है और जागरूकता बढ़ता है। ताड़ासन आपके पेट और नितंबों को मजबूत करता है और आपकी रीढ़ की लचीलेपन को बढ़ाता है। यदि आप अपनी एकाग्रता को बढ़ाना चाहते हैं तो नियमित रूप से ताड़ासन कीजिए।
ताड़ासन कैसे करें
दिन के दौरान किसी भी समय ताडासा का अभ्यास किया जा सकता है। तड़ासन करने के लिए अपने पैरों के बीच 4 से 6 इंच का गैप रखकर खड़े होकर दोनों भुजाओं को ऊपर की ओर उठाइए। इस दौरान अपनी आंखों को सामने पड़ने वाली किसी भी चीज पर अपनी दृष्टि जमा लीजिए। इसके बाद अपनी एड़ियों को ऊपर की ओर उठाना होगा और अनुभव करना होगा कि आपको कोई ऊपर की ओर खींच रहा है। इस आसन को आप कम से कम दस बार कीजिए। इस आसन के दौरान ऊपर उठते समय श्वास अंदर व नीचे की ओर आते समय बाहर लीजिए।
#2 वृक्षासन
एकाग्रता बढ़ाने के लिए वृक्षासन बहुत ही उपयोगी आसन है। वृक्षासन आपके पैरों में संतुलन और स्थिरता में सुधार करता है। यह आत्म-आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करता है। यह न केवल आपके सहनशक्ति को बढ़ाता है बल्कि आपके तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
वृक्षासन कैसे करें
वृक्षासन को हम ट्री पोज के नाम से जानते हैं। इस आसन की करने के लिए सबसे पहले सीधी तरह तनकर खड़े हो जाएं। अपने शरीर का भार बाएं पैर डालते हुए दाएं पैर को मोड़े। इसके बाद दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर के साथ लगा दें। अपने दोनों हाथ की हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लें और ऊपर की ओर ले जाएं।
#3 गरुडासन
गरुडासन आपके पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और आपके शरीर को संतुलित करता है। यह आपके कूल्हों और पैरों को अधिक लचीला बनाता है और न्यूरोमस्कुलर समन्वय को पुनर्स्थापित करता है। गरुडासन करने से साइटिका जैसी गंभीर बीमारी से निजात मिलता है और एकाग्रता में बहुत ही काम आता है।
गरुडासन कैसे करें
गरुडासन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर एकदम से सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद अपने दाएं पैर को अच्छे से जमीन पर जमाकर अपनी बाईं टांग को दाएं पैर में सर्प की तरह लपेट लें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को आपस में लपेटते हुए अपनी उंगलियों और हथेलियों को आपस में मिला लें। इसके बाद अपने हाथों की कलाई को अपने नाक के बिल्कुल सिधाई पर रखें, ध्यान दें कि यह उस तरह हो जिस प्रकार गरुड की चोंच होती है। इस आसन को करने के बाद अपनी पहले वाली अवस्था में आ जाएँ और फिर दूसरी टांग से गरुडासन को दोहराएं।
#4 पश्चिमोत्तासन
पश्चिमोत्तासन क्रोध और चिड़चिड़ापन को कम करता है और आपके दिमाग को शांत करता है। यह कब्ज कम कर देता है और आपकी आंतों और पित्त मूत्राशय को उत्तेजित करता है। यह पेट दर्द, सिरदर्द, और बवासीर का इलाज करता है। इसके आलावा यह यह आपके कूल्हे की हड्डियों को मजबूत करता है।
पश्चिमोत्तासन कैसे करें
चटाई या दरी पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को फैला कर और शरीर को सीधा तानकर अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें। इसके बाद धीरे-धीरे करके अपने दोनों हाथों से अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। इस प्रकार करते हुए अपने हाथों और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें।
#5 उष्ट्रासन
उष्ट्रासन पीठ दर्द से राहत देता है और श्वसन, पाचन और उत्सर्जन में सुधार करता है। यह आपके चक्रों को संतुलित करता है और संतुलित करता है और अंतःस्रावी ग्रंथियों को उत्तेजित करता है। यह मासिक धर्म में परेशानी को कम कर देता है, आपके तंत्रिकाओं को सक्रिय करता है और एकाग्रता को बढ़ाने का काम करता है।
उष्ट्रासन कैसे करें
उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठें जाइए और फिर धीरे-धीरे घुटनों के बल ऊपर खड़े हो जायें। अब घुटनों से कमर तक का भाग सीधा रखें और पीछे की तरफ झुकते हुए पहले हाथ को पहली ऐड़ी और वैसे ही दूसरे हाथ को दूसरे पैर की ऐड़ी पर लगाएं। और छत की ओर देखें। आपके घुटनों में दर्द न हो इसलिए मैट या कम्बल का उपयोग करें। कुछ मिनट इस अवस्था में रुकिए फिर पुरानी अवस्था में आ जाइए।