दिमाग

वीडियो गेम खेलने से बढ़ता है दिमाग

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हाल के रिसर्ज से पता चला है कि डिप्रेशन के प्रभावी उपचार में वीडियो गेम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दिमाग को प्रशिक्षित करने में वीडियो गेम मदद करता है। शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि विशेष तौर पर डिजाइन किए हुए वीडियो गेम खेलने से लोगों को उनके डिप्रेशन या अवसाद पर काबू पाने में मदद मिली है।

ये तो बात हुई डिप्रेशन की, अब बात करते हैं वीडियो गेम से दिमाग पर होने वाले असर की। अक्सर देखा गया है कि वीडियो गेम खेलने वाले बच्चे कई बार माता पिता की डांट के शिकार बनते हैं, लेकिन एक शोध से पता चला है कि जो व्यक्ति वीडियो गेम खेलते हैं वह बहुत प्रभावी तरीके से अपने मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। यह शोध यूरोप में किया गया है।

यह शोध लंदन, बेल्जियम और स्विटजरलैंड के कॉलेज ने मिलकर किया है। Wii and Xbox Kinect गेमिंग डिवाइस के जरिए जब 926 प्रतिभागियों पर इसका शोध किया गया तो परिणाम हैरान करने वाले थे। इस तरह के शोध से पाया गया है कि इस तरह के वीडियो गेम से मस्तिष्क के कामकाज में काफी वृद्धि होती है।

इस शोध में लगी टीम ने पाया कि जो लोग ये गेम्स खेलते हुए शरीर को हिला भी रहे थे, उनका दिमाग सकारात्मक तौर पर सक्रिय पाया गया। आपको बता दें कि हाल में आए विडियो गेम्स पर एक अध्ययन सामने आया था कि इससे मरीज को बड़े आघात के बाद पुन: ठीक होने में मदद मिलती है। खास तौर पर, जब व्यक्ति चलने-फिरने में सक्षम न रहा हो।

रिसर्च के मुताबिक, फिजिकली ऐक्टिव विडियो गेम्स से दिमाग तेजी से काम करने लगता है। इन गेम्स का फायदा उन गेम्स से कहीं ज्यादा मिलता है, जिनमें हिलना-डुलना नहीं होता।

वैसे देखा यह भी गया है कि वीडियो गेम एक तरह की लत या व्यसन है, जिससे सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हैं। अगर आज की बात की जाए तो बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग को लेकर दीवानगी इतनी बढ़ चुकी है कि माता-पिता को कई बार अपने बच्चों के बदलते व्यवहार को लेकर मनोचिकित्सकों तक का सहारा लेना पड़ जाता है।

भले ही वीडियो गेम आपको दिमागदार बनाने का काम करता है, लेकिन इसका ज्यादा उपयोग आपको व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इससे निरंतर खेलने से आपकी आंखें कमजोर हो सकती हैं तथा मोटापा और दूसरे शरीर संबंधित परेशानियां हो सकती है। इसके अलावा इसका प्रभाव समाज से दूरी, काम या पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है।

यह लत लोगों को समाज से इतना अलग कर देती है कि आगे चलकर उनमें अकेलेपन, रिश्तों के प्रति उदासीनता व तनाव जैसे मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

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