इस भागती ज़िंदगी में रेस सिर्फ बड़ों के बीच ही नहीं बल्कि बच्चों के बीच भी देखने को मिलती है। बड़े तो बड़े अब बच्चे भी एक दूसरे से आगे निकलने की चाह रख रहे हैं। ऐसे में बच्चों के बीच भी डिप्रेशन की शिकायत आम हो गई है। सायकोटिक डिप्रेशन बच्चों में ज्यादा पाया गया है, इस बीमारी में बच्चा अपने दिल में कोई बात बैठा लेता है। अकसर बच्चों में डिप्रेशन की वजह उनकी पढ़ाई का बोझ या फिर पैरेंट्स (माता-पिता) की डांट हुआ करती है।
वह मां-बाप जो खुद अपने जीवन में सफलता नहीं पा सके वह अपने बच्चों के जरिए सफल होना चाहते हैं और ऐसे में उनके बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। मां-बाप का यह फर्ज है कि वह ध्यान दें कि कहीं उनका बच्चा उनसे बहुत दूर तो नहीं जा रहा…कहीं आपका बच्चाफ भी तनाव में तो नहीं?
डिप्रेशन बच्चे को बहुत अकेला बना देता है। आपका बच्चा हमेशा उदास नज़र आएगा और साथ ही उसे किसी भी काम में दिलचस्पी नहीं होगी। कभी-कभी डिप्रेशन इतना खतरनाक भी हो सकता है कि बच्चे की जान भी जा सकती है।
बच्चों में डिप्रेशन या तनाव के क्या है कारण ?
- सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी इन दिनों नए-नए तकनीक को लेकर पागल है। तकनीक पर ज्यादा समय बच्चों़ का रहना भी तनाव की बड़ी वजह है। सोशल साइट्स पर बच्चे भी अपना अकाउंट खोल लेते हैं और फिर शुरू हो जाती है बच्चों के बीच सोशल साइट्स पर एक दूसरे से आगे बढ़ने की रेस।
- पढ़ाई का ज्यादा दबाव भी बच्चोंक के डिप्रेशन का मुख्य कारण है। कई स्कूलों में छोटी उम्र से ही बच्चों को भारी सिलेबस दे दिया जाता है जिसे पूरा न कर पाने के कारण बच्चास तनाव में आ जाता है।
- बच्चों पर मां-बाप का दबाव भी डिप्रेशन की एक वजह है। आपने देखा होगा अकसर पैरेंट्स बच्चों को स्कूल में टॉप करने की जिद्द करते हैं। बच्चों को हमेशा ज्याहदा नंबर लाने के लिए परेशान करने वाले माता-पिता अकसर यह भूल जाते है कि उनका दबाव उनके बच्चों को डिप्रेशन में डाल सकता है।
- पैरेंट्स और टीचर कभी-कभी अपना गुस्सा बच्चों पर हाथ उठाकर निकालते हैं। वह कभी नहीं सोचते कि उनके इस बर्ताव से बच्चे सहम जाएंगे, उनसे हमेशा डरेंगे और चाह कर भी आपसे दिल की बात कभी नहीं बोलेंगे। यहां स्कूल के शिक्षक और माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अगर अच्छा नहीं कर पा रहा अपनी लाइफ में तो यह कोई जीवन का अंत नहीं बल्कि नए कल की शुरुआत है, जिसे आप अपने बच्चे को प्यार से समझा सकते हैं।
- हाई क्लायस की सुविधा पाने की इच्छा भी बच्चेप को तनाव में लाने का मुख्य कारण है। बच्चों में हमेशा दूसरों के जैसा हाई लिविंग स्टैं डर्ड रहने की चाह आ जाती है जिसके कारण वह दूसरे बच्चों को खुद से बेहतर नहीं देख पाते।
- बच्चे का अकेलापन भी उसको डिप्रेशन के करीब ले आता है। इन दिनों हर घर में मां-बाप दोनों जॉब करते हैं। अधिकतर वर्किंग पैरेंट्स के बच्चे हमेशा खुद को अकेला पाते हैं और ऐसे में डिप्रेशन उन्हें घेर लेती है। बच्चों को माता-पिता का सिर्फ प्यार और केयर ही नहीं बल्कि समय भी चाहिए होता है।
बच्चों में डिप्रेशन या तनाव क्या हैं लक्षण :
- आपका बच्चा खाने-पीने से और पढ़ाई से दूर भागेगा, साथ ही उसे किसी भी खेल में मन नहीं लगेगा।
- कभी तो आपका बच्चा बेवजह खुश हो जाएगा तो कभी दुखी।
- हमेशा घंटों-घंटों भर बच्चे का रोना भी डिप्रेशन के तरफ का इशारा है।
- बच्चे का हमेशा मूड खराब रहना, उसका गुमसुम रहना भी डिप्रेशन है।
- आपका बच्चा अगर बैचेन रहता है, छोटी-छोटी बातों पर चिड़ जाता है और बहुत जल्दी घबरा भी जाता है तो वह डिप्रेशन में है।
- स्कूल से बच्चे की बहुत अधिक शिकायतें आ रही हो या फिर आपके बच्चे के मन में आत्महत्या जैसे गलत विचार पनप रहे हो तो यह डिप्रेशन ही तो है।
हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हम यही चाहेंगे कि हर पैरेंट्स अपने बच्चों के व्यरवहार पर नज़र रखें। जितना हो सके उतना समय अपने बच्चों को दें ताकि आप उसके भावनाओं को समझ सके और उन्हें डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारी से बचा सकें।