जीभ शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह आगे से पतली और पीछे से चौड़ी होती है। इसका रंग लाल या गुलाबी होता है। इसकी ऊपरी सतह को देखने पर दाने दिखाई देते हैं। यह स्वाद कलिकाएँ होती हैं, इन कलिकाओं से हमें चार प्रकार के स्वाद के बारे में पता चलता है – खट्टा, मीठा, नमकीन, और कडवा। जीभ के आगे वाले भाग से हमें मीठे और नमकीन का स्वाद पता चलता है। पीछे के भाग में कडवा और किनारे से खट्टे का पता चलता है।
जीभ के बीच वाले भाग में कलिकाओं का अभाव होने के कारण यहाँ से किसी भी प्रकार के स्वाद के बारे में पता नहीं किया जा सकता। जीभ हमारे मुख के तल पर एक पेशी के रूप में होती है जो हमारे भोजन को चबाने और निगलने को आसान बनाती है। जीभ का दूसरा कार्य हमारे स्वर को नियंत्रित करना होता है। जीभ संवेदनशील होती है और हमारी लार के द्वारा यह नम बनी रहती है। इसके अलावा हमारी जीभ हमारे दांतों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम होता है।
जीभ की सरंचना
जीभ में 4 अंत:स्थ तथा बाह्यस्थ पेशियाँ होती है
अंत:स्थ का अर्थ होता है कि यह पेशिया हड्डियों से जुड़ी हुई नहीं होती। यह जीभ के आकार को बदलने का कार्य करती है। इसके अंत:स्थ इस प्रकार से है…
जीभ की एक्सट्रिन्सिक पेशियाँ
यह हमारी जीभ की स्थिति को बदलने का कार्य करती है।
- जेनिग्लोस
- हाइग्लोसस
- स्टाइग्लोसस
- पैलैटोग्लोसस।
ओरोफेरिंक्स से लेकर शिख तक जीभ की औसत लंबाई 10 cm तक होती है।
जीभ के कार्य
जीभ के तीन कार्य होते हैं जो इस प्रकार से है
- बोलना
- स्वाद पहचानना
- निगलना
जीभ के रोग
हमारे शरीर की ज्ञानेन्द्रियों में से एक जीभ के भी कई रोग होते हैं…
- जीभ में सूजन
- जीभ का रंग बदलना
- जीभ में लकवा
- जीभ में दर्द
- जीभ का कट जाना
- जीभ में अल्सर रोग का होना
- जीभ में कैंसर