ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सेजर विक्टोरिया की मानें तो बच्चों को स्तनपान कराने से बच्चे की सेहत के साथ ही महिलाओं में भी स्तन कैंसर और ओवैरियन कैंसर होने का खतरा कम होता है। लेकिन ये जानने के बाद भी महिलाएं अक्सर काम के दबाव में बच्चे को बोतलबंद दूध पिलाना ज्यादा बेहतर मान बैठती है। आंकडें भी कुछ इसी ओर इशारा करते हैं। दुनिया में केवल सात फीसदी महिलाएं ही एक साल तक बच्चों को स्तनपान कराती हैं। दुनिया में बच्चों को स्तनपान न कराने का सबसे खराब रिकार्ड ब्रिटेन का है। यहां 200 महिलाओं में से केवल एक महिलाएं ही बच्चों को एक साल तक दूध पिलाती है। जर्मनी और ब्राजील का भी कुछ ऐसा ही हाल है। वहीं देश का हाल भी कुछ जुदा नही हैं। साउथ एशिया के देशों में भारत सबसे निचले स्तर पर है। अक्सर आफिस संभालने वाली महिलाओं में ये समस्या देखी जाती है। ऐसे में महिलाएं बच्चो को बोतलबंद दूध पिलाना जल्दी ही शुरु कर देती है। लेकिन इससे न सिर्फ बच्चे को बल्कि महिलाओं को भी नुकसान उठाना पड़ता है। मौजूदा समय में महिलाओं मे स्तन कैंसर और ओवैरियन कैंसर का खतरा दोगुना हो गया है। वहीं मां के दूध में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो कि बाजार के दूध में नहीं पाए जाते हैं।
किस आयु तक कराएं बच्चों को स्तनपान
देश में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कम से कम छ माह तक स्तनपान को जरूरी करार दिया गया है। लेकिन अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडिएट्रिक्स के 12 महीने तक बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 2 साल तक बच्चे को स्तनपान कराना बेहतर होता है।
बच्चों को स्तनपान कराने से होने वाले लाभ
स्तनपान कराने से दूध खरीदने का खर्च बच जाता है। स्तनपान करने वाले बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं। इसलिए आपको बार- बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ता। शिशु की त्वचा के संपर्क में आने से महिलाओं में आकिसटोसिन नामक हार्मोन बनता है, जिससे तनाव कम होता है और प्रसव पूर्व अवसाद का खतरा भी कम होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक कैलोरीज की आवश्यकता होती है, जिससे वज़न कम होता है और यूटेरस भी जल्दी आकार में आ जाता है। स्तनपान कराने से माँ को स्तन कैंसर और अन्य कई ऐसी बीमारियों के होने का खतरा एकदम कम हो जाता है। स्तनपान ऑक्सीटोसिन हार्मोन के स्त्राव को यह बढाता है जिसकी वजह से आपके गर्भाशय और शरीर को पुन उसी अवस्था में आने में मदद मिलती है। नियमित स्तनपान कराने वाली महिलाओँ में मासिक धर्म समय पर होता है। जिससे शरीर से आयरन कम मात्रा में निकलता है। इस तरह महिलाएं आयरन की कमी से बच सकती है। गौरतलब है कि गर्भधारण के बाद महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है।