जब हमारी किडनी की कार्य क्षमता कमजोर हो जाती है अर्थात वो सही ढंग से काम नहीं कर सकती, ऐसे में विषैले पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकलते, जिसके कारण क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे पदार्थ की अधिकता होने से हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में हम मशीनों की सहायता से अपने खून को साफ़ करते हैं, जिसे किडनी डायलिसिस कहा जाता है। जब रोगी का गुर्दा (किडनी) सही दंग से काम नहीं करता, अधिक समय से डायबिटीज हो या फिर उच्च रक्तचाप हो तब हमें डायलिसिस की आवश्कता पडती है।
डायलिसिस क्या है?
किडनी या गुर्दा अंगों का एक जोड़ा हैं, जो मुट्ठी के आकार जैसा होता है और रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित होता है। किडनी शरीर से कचरा और अतिरिक्त तरल पदार्थ निकालकर आपके खून को शुद्ध करने का काम करता है। जब किडनी या गुर्दे ठीक से काम नहीं करते हैं, तो डायलिसिस का उपयोग गुर्दे के कार्य को करने के लिए किया जाता है।
डायलिसिस एक ऐसा उपचार होता है जिससे मशीन का उपयोग करके खून को फिल्टर और शुद्ध करता है। 1940 के दशक से किडनी की समस्या वाले लोगों का इलाज करने के लिए डायलिसिस का इस्तेमाल किया गया था।
किडनी डायलिसिस किस काम आता है
जब क्रोनिक किडनी डिजीज होने के कारण क्रिएटिनिन किल्यरेंस का रेट पन्द्रह फीसदी या उससे कम हो जाता है, तो ऐसे में हमें डायलिसिस करवानी पडती है। शरीर में जब पानी की अधिक मात्रा हो जाती है या पानी इकट्ठा होने लगे तो ऐसे में हमें फ्लूइड ओवेरलोड़ की समस्या पैदा होने लगती है। इसको पहले दवाई से खत्म किया जाता है, अगर यह खत्म न हो तो डायलिसिस किया जाता है। अगर शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ जाती है, तो उससे हमारी धड़कने तेज होने लगती है, तो ऐसे में हमें कई तरह की दवाइयों का सेवन करना पड़ता है, लेकिन कई बार हमें दवाई से फर्क नहीं पड़ता, तो ऐसे में डायलिसिस की सलाह दी जाती है।
रेजिस्टेंस मेटाबॉलिक एसिडोसिस के कारण एक्यूट रिनल फेल्योर का हमारे शरीर में खतरा उत्पन होने लगता है, जिसके कारण शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है तब सबसे पहले दवाइयों से इसे कम करने की कोशिश की जाती है और जब यह दवाई से ठीक नहीं होती या फिर किसी प्रकार का फर्क नजर नहीं आता, तो डायलिसिस की सलाह दी जाती है।
किडनी डायलिसिस के प्रकार
डायलिसिस की दो प्रकार होते हैं
- होमोडायलिसिस
- पेरिटोनियल डायलिसिस
- होमोडायलिसिस
होमोडायलिसिस एक प्रक्रिया होती है, जिससे शरीर में से 250 से 300 मिलीलीटर रक्त को बाहर निकाल कर साफ़ किया जाता है और फिर वापस शरीर में डाल दिया जाता है। रक्त के शुद्धिकरण के लिए डायलाइजर नामक चलनी प्रयोग में लाई जाती। - पेरिटोनियल डायलिसिस
ऑपरेशन के माध्यम से रोगी की नाभि के नीचें एक नालिका लगाई जाती है और इस नालिका जरिये से रोगी के पेट में तरल पदार्थ पहुंचाए जाते हैं। यह पेट के अंदर झिल्ली डायलाइजर का काम करती है, जिसके कारण शरीर में अच्छे पदार्थ जाते हैं और विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। आज के समय में इसका उपयोग बहुत अधिक हो रहा है, लेकिन इसका अधिक उपयोग या तो छोटे बच्चों या अधिक उम्र के लोगों के लिए ही होता है।
डायलिसिस के लिए कैसे तैयार रहना चाहिए?
आपके पहले डायलिसिस उपचार से पहले, आपका डॉक्टर ब्लडस्ट्रीम तक पहुंच पाने के लिए शल्य चिकित्सा के लिए एक ट्यूब या डिवाइस को प्रत्यारोपित करेगा। यह आमतौर पर एक त्वरित कार्रवाई है। आपको अपने डॉक्टर के निर्देशों का भी पालन करना चाहिए, जिसमें उपचार से पहले निश्चित समय के लिए उपवास शामिल हो सकता है।