आजकल हर कोई योग के महत्व को समझ रहा है। योग के फायदों से परिचित होकर लोग इसे अपने जीवन में उतार रहे हैं। यही नहीं, ऐसे लोग अपने परिवारजनों के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी योग करने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि योग के फायदे ही इतने है। योग के इसी महत्व को समझते हुए आज हम शीर्ष पादासन योग के बारे में बात करेंगे।
क्या है शीर्ष पादासन योग ? यहां योग में शीर्ष को सिर और पदा को पैर माना गया है। इसमें पैर और सिर दोनों को जमीन पर टिकाया जाता है। इस आसन को हम धनुरासन भी कह सकते हैं।
शीर्ष पादासन योग करने की विधि
शवासन में चित लेट जाइये उसके बाद सारे शरीर की मांसपेशियों को खींचते हुए तथा पैरों को सीधे रखते हुए पूरे शरीर को इस प्रकार उठाइए कि पूरा शरीर केवल सिर के सबसे ऊपरी व पैरों के नीचले हिस्से पर सधा रहे।
जब तक शरीर सध न जाये, हाथों को जमीन पर रखा जा सकता है। शरीर संतुलित हो जाने के बाद हाथों को जांघों पर रख लें। थोड़ी देर इसी स्थिति में ठहरिए, फिर वापस जमीन पर लौटिये। इस आसन को करते समय आप सिर के नीचे तह किया हुआ कपड़ा या कंबल भी रख सकते हैं।
- श्वास
लेटी हुई अवस्था में श्वास लीजिए व वापस आते वक्त श्वास छोड़िये। शरीर को ऊपर उठाते हुए व अंतिम स्थिति में श्वास अंदर रोकिये। - समय
इस आसन को आप 4 बार दोहरा सकते हैं। जबकि शरीर के संतुलन होने की स्थिति में आप एकाग्रता भी दिखा सकते हैं।
शीर्ष पादासन योग के लाभ
- इस आसन के करने से न केवल शरीर शीथिल होता है बल्कि आराम भी मिलता है।
- जांघों, पेट व गर्दन के लिए यह आसन बहुत ही लाभकारी है। इससे मांसपेशियां स्वस्थ और मजबूत होती है।
- शीर्ष पादासन रीढ़ की मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाता है।
- मेरुदंड के स्नायुओं व रक्त शिराओं में इस आसन के करने से ताजा रक्त पहुंचता है।
शीर्ष पादासन योग – सावधानी
- जिनके गर्दन में दर्द हो, उन्हें इस आसन से दूरी बनाकर रखना चाहिए।
- कमजोर दिल वाले और उच्च रक्त चाप से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को न करें।
- इस आसन को करते समय योग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
- कठिन व्यायाम करने के बाद इस आसन को न करें।