भारत में मुँह का कैंसर तेजी से फैल रहा है। महिलाओं से ज्यादा यह पुरुषों में पाया जाता है। इसका मतलब ये नहीं है कि महिलाओं में मुँह का कैंसर कम तेजी से फैलता है। हकीकत यह है कि भारत में पुरूषों महिलाओं की तुलना में अधिक धूम्रपान करते हैं। जहाँ देश में 19.5 फीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं, वहीं ऐसे 42 फीसदी पुरूष हैं जो धूम्रपान करते हैं। सिगरेट, सिगार, तंबाकू, एल्कोहल आदि के ज्यादा इस्तेमाल से मुँह में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। मुँह के कैंसर की औसत आयु 50 वर्ष है।
तंबाकू मुँह के कैंसर से रोगी की जान जाने का भी खतरा होता है। इस बात का अंदाजा ग्लोबलकैन की 2012 की रिपोर्ट के आधार पर लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 में 77,003 कैंसर के मामले दर्ज किए गए। इनमें से 52,067 लोगों को बचाया नहीं जा सका।
मुँह के कैंसर के कारण
धूम्रपान
इन तीनों चीज़ों सिगरेट, सिगार, हुक्का के आदी लोगों को धूम्रपान न करने वाले लोगों के मुकाबले मुँह का कैंसर होने का 6 फीसदी ज्यादा खतरा होता है। मुँह का कैंसर होने का खतरा तंबाकू सूंघने, खाने या चबाने वाले लोगों को उनकी तुलना में 50 फीसदी ज्यादा होता है जो तंबाकू का इस्तेमाल नहीं करते। मुँह कैंसर आम तौर पर गाल, मसूड़ों और होंठ में होते हैं। शराब पीने वालों को मुँह कैंसर होने का खतरा बाकी लोगों से 6 फीसदी ज्यादा होता है। धूप में ज्यादा रहने वाले लोगों को भी इस कैंसर का खतरा बना रहता है।
क्या मुँह का कैंसर अनुवांशिक है
जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को मुँह कैंसर रहा हो वैसे लोगों को इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है। हालांकि, यह वह स्थिति नहीं है जिससे घबराने की जरूरत है।
मुँह के कैंसर के लक्षण
मुँह में निकले ऐसे छाले जो लंबे समय से ठीक नहीं हो रहें हैं तो मुँह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ कई बार छालों से खून निकलने लगता है। ये भी मुँह के कैंसर का कारण हो सकता है। मुँह में खुरदरापन का एहसास, गाल सूजना, मुँह खुलने में या खाना खाने में दर्द, जबड़े में सूजन होने पर भी मुँह के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है मुँह के कैंसर का उपचार
मुँह के कैंसर का उपचार इसकी प्राथमिक जानकारी से शुरू होता है। अगर प्रारम्भिक स्तर पर ही मुँह के कैंसर का पता चल गया तो इसका उपचार करना आसान होता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सर्जरी करने के अलावा उपचार का शायद ही कोई विकल्प बचता हो। मुँह के कैंसर का उपचार बहुत खर्चीला भी होता है। ऐसा नहीं है कि इसका उपचार सरकारी अस्पतालों में सस्ता होता है।
मुँह के कैंसर के उपचार में होने वाली सर्जरी के कई गलत प्रभाव भी होते हैं। अगर कैंसर तीसरे या चौथे चरण में पहुँच जाता है तो कई चिकित्सा विशेषज्ञ कीमोथेरेपी की सलाह देते हैं। कीमोथेरेपी के भी कई गलत अथवा नकारात्मक प्रभाव होते हैं जैसे उल्टी होना, बालों का गिरना इत्यादि। इसके अंतिम चरण के नज़दीक पहुँच जाने से एक विकल्प रेडियोथेरेपी का बचता है। इसमें मशीन की मदद से कंट्रोल्ड रेडिएशन ट्यूमर पर किरणें डालकर कैंसर की कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। इसलिये यह जरूरी है कि तम्बाकू सम्बन्धी वस्तुओं से परहेज किया जाना चाहिये और इस बीमारी के लक्षण का आभास होते ही चिकित्सा विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिये।
किसे होता है मुंह का कैंसर
जो लोग सिगरेट, सिगार या फिर पाइप स्मोकर्स हैं उन्हें धुम्रपान ना करने वालों की अपेक्षा मुंह के कैंसर होने की संभावना ज्यादा रहती है।
गुटखा और तंबाकू का सेवन करने वाले भी मुंह के कैंसर के शिकार होते हैं।
जब शराब की तलब ज्यादा बढ़ जाए या जिन्हें शराब पीने का ज्यादा शौक है उन्हें भी ये कैंसर हो जाता है।
इसके अलावा जिनके घर में मुंह के कैंसर होने का इतिहास हो वह भी इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
भारत में स्थिति
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के मुताबिक भारत में हर दिन तंबाकू के कारण 10 लोगों की मृत्यु हो जाती है। डॉक्टर के मुताबिक 30 से 40 प्रतिशत रोग तंबाकू के ज्यादा इस्तेमाल करने से होते हैं। यही कारण है कि भारत में मुंह के कैंसर रोगियों में इजाफा हुआ है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र का नागपुर एक ऐसा शहर बना है जहां भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में ओरल कैंसर रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। हालांकि तंबाकू के बढ़ते दुष्प्रभाव के चलते भारत की सरकार ने तंबाकू बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कुछ कड़े नियम बनाए हैं। इनमें से एक नियम के तहत तंबाकू प्रोडक्ट के 85 प्रतिशत एरिया में सचित्र चेतावनी दिखाई जानी चाहिए।