इन्सेफेलाइटिस नामक दिमागी बुखार ज्यादातर अन्य विषाणु संक्रमणों के साथ पाया जाता है। आपको पता भी नहीं चलेगा और आप इस बीमारी के घेरे में कैद हो जाते हैं। आमतौर पर इसके लक्षण को पहचान पाना बहुत ही मुश्किल है और साथ ही सूजन का भी उपचार कर पाना बहुत कठिन होता है। इन्सेफेलाइटिस के सामान्य लक्षणों की बात करें तो इनमें बुखार का होना, हमेशा सिरदर्द की शिकायत, भूख न लगना, कमजोरी सा लगना और बीमारी जैसे कई अनुभव होना भी शामिल हैं।
इस बात को हम झूटला नहीं सकते हैं कि एक अच्छा स्वास्थ्य सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है। वहीं, कई बीमारियां स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं। बता दें कि कभी-कभी विभिन्न प्रकार के संक्रमण मानव जाति के लिए महामारी बन स्वास्थ्य को एफैक्ट करते हैं।
दिमाग में बुखार का मतलब है इन्सेफेलाइटिस, यह एक ऐसा ही दुलर्भ संक्रमण है जो लगभग करीबन दो लाख लोगों में से एक आदमी में पाया जाता है। जान लें कि यह रोग विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कम प्रतिरक्षा क्षमता वाले कमजोर व्यक्तियों में ज्यादा होता है। गौरतलब है कि सूजन के रूप में परिभाषित यह हुआ कि… ‘इन्सेफेलाइटिस को मस्तिष्क किया जाता है।‘ जान लें कि यह बीमारी होने के पीछे मुख्य भूमिका निभाते हैं – विषाणु, जीवाणु, परजीवी, रसायन आदि। वहीं, इन सब कारकों के अलावा वायरल इन्सेफेलाइटिस को सबसे आम माना जाता है।
इन्सेफेलाइटिस के कुछ और लक्षण यह भी हैं
शरीर में तेजदर्द
उल्टी एवं घबराहट होना
गर्दन में दर्द
व्यक्तित्व में बदलाव दिखना
दौरा पड़ना
बोलने या सुनने में परेशानी होना
जले हुए मांस या सड़े हुए अंडे की बदबू का आना
याददाश्त में कमी आना
उनींदापन और कोमा आदि शामिल हैं
बता दें कि नन्हे-नन्हे बच्चों और शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण हैं
खोपड़ी में एक पूरा या उभरी हुई चित्ती
शरीर में जकड़न नज़र आना
दूध कम पीना
चिड़चिड़ापन एवं बात-बात पर रोना
इन्सेफेलाइटिस से कैसे बचें
बच्चों में यह रोग ज्यादा दिखने को मिलता है, ऐसे में कोशिश करें कि बच्चों को पूरे कपड़े ही पहनाएं ताकि उनकी स्कीन ढकी रहे।
घर में कीट प्रतिकर्षकों का उपयोग करना ना भूलें, इसके इस्तेमाल से मच्छर और अन्य कीट काट नहीं पाएगा।
शाम को अंधेरा होते ही बाहर निकलना बंद कर दें क्योंकि यही वह समय होता है जब मच्छर जैसे काटने वाले कीट अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
अगर आपका बच्चा अभी-अभी इस दुनिया में आया है तो उसका बचाव करना बहुत जरूरी है। बचाव के लिए मां के जननांग पथ में सक्रिय दादों का सीज़ेरियन किया जा सकता है।
वहीं पोलियो, खसरा, कण्डमाल आदि विषाणुओं के कारण होने वाले इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारी को बच्चों में टीकाकरण के सहारे रोका जा सकता है।