हमारे शरीर में अगर मेटाबॉलिज्म ना हो तो हमारी बॉडी सिर्फ हड्डियों का ढांचा कहलाएगी। हर रोग आपको अटैक करने के लिए तैयार रहेगा। साफ शब्दों में कहे जो मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर का एनर्जी प्रोवाइडर होता है, जो शरीर के सेल्स को बनने में मदद करता है। यह एक ऐसा प्रोसेस भी माना जाता है जो आपके भोजन को एनर्जी, एंजाइम और फैट में तबदील कर देता है।
बता दें कि आपके शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया पूरे 24 घंटे चलती रहती है। वहीं, अगर यह प्रकिया गलती से भी रुक गई तो आपकी शरीर की तमाम क्रियाएं ठहर सकती हैं।
यह बहुत कम लोग जानते हैं कि मेटाबॉलिज्म के दो प्रकार हैं- ‘हाई मेटाबॉलिज्म’ और ‘स्लोत मेटाबॉलिज्म’। मेटाबॉलिज्म के दोनों ही प्रकार हमारी सेहत को प्रभावित करने का काम करते हैं, इसलिए इसका संतुलित में रहना बेहद जरूरी होता है।
स्लो मेटाबॉलिज्म क्या है
जब आपके शरीर में मेटाबॉलिज्म का प्रोसेस (प्रकिया) बहुत धीमी हो जाती है, तो आपका शरीर सुस्त सा हो जाता है। अब ऐसे में व्यक्ति का डिप्रेशन में आना स्वभाविक बन जाता है। ऐसे में आपको ठंड या गर्मी ज्यादा भी लग सकती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है।
यूं तो मेटाबॉलिज्म कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हाइपोथेडिज्म, कुपोषण, असंतुलित भोजन, व्यायाम न करना और एंट्री डिप्रेशन दवाओं का इस्तेमाल सबसे प्रमुख हैं। ऐसे में इंसान को ट्यूमर, ब्रेन टयूमर, एडलीन (शरीर में पानी का भर जाना) और दिल संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
हाई मेटाबॉलिज्म क्या है
क्या आपको इस बात की जानकारी है कि अगर आपका मेटाबॉलिज्म हाई हुआ तो आपका शरीर गर्म रहने लगेगा और साथ ही दिल की धड़कनें भी तेज होने लगेगी। जान लें कि ऐसी परिस्थिति में भूख ज्यादा लगती है और बुखार के लक्षण भी उभर सकते हैं।
वहीं, हाई मेटाबॉलिज्म के कारणों की बात करें, तो इसमें ब्रेन हार्मोन एवं थायराइड हार्मोन का बढ़ना, दवाओं का असर, किडनी की ग्लेंड्स का बढ़ना जिम्मेदार हो सकता है।
कई मामलों में तो अनुवांशिक कारण भी हाई मेटाबॉलिज्म का कारण हो सकते हैं। हाई मेटाबॉलिज्म से भी ब्रेन टयूमर, हाइपरथाइराडिज्म और किडनी संबंधी रोगों का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
सही मेटाबॉलिज्म के लिए क्या है जरूरी
ध्यान रहे कि मेटाबॉलिज्म को सही रखना है तो अपने खानपान का सही करना होगा, क्योंकि मेटाबॉलिज्म काफी हद तक हमारे खानपान और शारीरिक गतिविधियों पर भी निर्भर करता है।
गलत खानपान या फिर लंबे समय तक कुछ भी न खाने से इसकी समस्या हो सकती है। खाने की सभी खराब आदतें जैसे कि असमय खाना, खाने से जी चुराना आदि आपके मेटाबॉलिज्म को गड़बड़ कर सकता है।
जो लोग बहुत देर-देर तक खाली पेट रह जाते हैं, ऐसे लोगों के शरीर को सुप्तावस्था में पहुंचा सकता है और जब आप फिर से खाना खाते हैं तो वह उसे संग्रहीत करना शुरू कर देता है। जान लें कि इससे मोटापा बढ़ने की समस्या बढ़ सकती है।
अगर आपका मेटाबॉलिज्म तेज़ है, तो आपके लिए प्रोटीन शेक और प्रोटीनयुक्त भोजन वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
टाबॉलिज्म के लिए क्या खाना सही
ऐसे में आपको प्रोटीन युक्त फिश, अंडा, अंकुरित चने, मोठ, चिकन, चावल, दूध या दूध से बनी चीज़े, सोया मिल्क या पाउडर के साथ-साथ मछली, फलियां, मेवा, बींस, इत्यादि का सेवन सप्ताह में दो से तीन बार जरूर करना चाहिए।
अगर आपका मेटाबॉलिज्म बहुत स्लो है, तो आपकी बॉडी में एनर्जी अपने आप कम हो जाएगी। आपको पता होना चाहिए कि आपके बेसल मेटाबॉलिक रेट यानी बीएमआर को सही करने के लिए कई फैक्टर्स मायने रखते हैं।
जब ऐसा हो तो आप दिन में तीन बार आहार ले सकते हैं। साथ ही इन आहारों के बीच में दो से तीन छोटे-छोटे अल्पाहार जोड़ दें। दिन की शुरुआत हेल्दीं नाश्तेस से करें और उसके बाद हर दो से तीन घंटे में अलग-अलग तरह का आहार लें। – मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने वाले 10 आहार
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय
मेटाबॉलिज्म के लिए अच्छी नींद लीजिए
स्वस्थ्य रहने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत ही जरूरी है। रात की नींद अच्छी होने से आपको रोग से लड़ने में मदद मिलेगी। कई अध्ययन में अपर्याप्त नींद और कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह, और मोटापे के बीच एक लिंक पाया गया है।
इसके अलावा इससे मेटाबॉलिज्म का स्तर भी कम हो जाता है। यह आंशिक रूप से मेटाबॉलिज्म पर सोने के अभाव के नकारात्मक प्रभावों के कारण हो सकता है।
इसके अलावा नींद की कमी भी रक्त शर्करा या ब्लड शुगर के स्तर और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ है, जो टाइप 2 मधुमेह के विकास के एक उच्च जोखिम से लिंक हैं।
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए ग्रीन टी का सेवन
ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्म में 4-5 फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है। ग्रीन टी में ईजीसीजी पाया जाता है, जो अपने मेटाबॉलिज्म बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। ग्रीन टी में मौजूद फ्लेवोनोइड और कैफीन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं, जो वजन घटाने में मदद करते हैं। चूंकि ये कैलोरी में कम हैं। यह वजन घटाने और वजन के रखरखाव दोनों के लिए अच्छा हो सकता है
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए कॉफी का सेवन
अध्ययनों से पता चला है कि कॉफी में कैफीन 3-11 फीसदी से चयापचय या मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा दे सकता है। ग्रीन टी की तरह, यह भी फैट को बर्न करने को बढ़ावा देता है। हालांकि आप इसका ज्यादा सेवन न करें।