आयुर्वेद में अमृता के नाम में मशहूर गिलोय एक ऐसी औषधि है जिससे कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। इस औषधि का प्रयोग रक्तशोधक, ज्वर नाशक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली, खांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में-
गिलोय के औषधीय गुण
काला ज्वर में फायदेमंद
इस रोग के होने पर शरीर में खून की कमी हो जाती है और शरीर का रंग काला पड़ जाता है। ऐसे में गिलोय के ताजे रस में शहद या मिस्री मिलाकर दिन में तीन बार लेने से काला ज्वर में लाभ मिलता है।
आपको इम्यूनिटी को बूस्ट करे गिलोय
गिलोय विषाक्त पदार्थों को हटाने, रक्त को शुद्ध करने, बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है, जो कई रोगों का कारण बनता है। यह आपके शरीर में इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करता है। यह एक कायाकल्प एजेंट के रूप में भी काम करता है। गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य को सुधारने का काम करते हैं और खतरनाक बीमारियों से लड़ते हैं। गिलोय दोनों किडनी और लिवर से विषाक्त पदार्थों को हटा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि मुक्त कण बाहर निकल जाए। इन सबके अलावा, गिलोय बैक्टीरिया से लड़ता है जो रोग का कारण बनता है।
बुखार में गुणकारी
बदलते मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। ऐसे में गिलोय फायदे औषधि है। गिलोय के साथ धनिया नीम की छाल का आंतरिक भाग मिला कर काढ़ा बना लें। दिन में काढ़े की दो बार सेवन करने से बुखार उतर जाएगा।
प्रेमह के रोगियों के लिए
प्रमेह या गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी (एसटीडी) है जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में होता है। इस बीमारी के होने की स्थिति में गिलोय के रस में शहद मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए, प्रमेह में फायदा जरूर होगा।
आंखें कमजोर होने पर
गिलोय का रस आंवले के रस के साथ मिलाकर लेना आंखों के रोग के लिए लाभकारी होता है। इसके सेवन से आंखों के रोग तो दूर होते ही है, साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती हैं। आप चाहे तो गिलोय के रस के साथ शहद या मिस्री मिलाकर ले सकते हैं।
आर्थराइटिस में फायदेमंद
आर्थराइटिस की बीमारी होने पर गिलोय का काढ़ा बनाकर उसमें अरंडी का तेल मिलाकर आर्थराइटिस वाली जगह पर लगाएं। आपको लाभ मिलेगा।
डेंगू और मलेरिया में फायदेमंद है गिलोय
गिलोय का एक और लाभ यह है कि यह गंभीर बुखार और बीमारियों का इलाज करता है। चूंकि यह प्रकृति के एंटी-पायरेटिक है, इसलिए यह बीमारियों कई गंभीर स्थितियों के संकेत और लक्षणों को कम कर सकता है। यह आपके रक्त प्लेटलेट की गिनती को बढ़ाता है और डेंगू बुखार के लक्षणों को भी कम करता है। इसके अलावा यह यह सफलतापूर्वक मलेरिया का इलाज करने में भी सक्षम है।
रक्त विकारों में गुणकारी
खून की खराबी अर्थात रक्त विकार एक घातक रोग है जिसका उपचार नहीं किया गया तो चर्म रोग हो सकता है। रक्त विकार में गिलोय एक रामबाण की तरह काम करता है। यह रक्त विकारों के साथ खाज, खुजली और वातरक्त में भी फायदेमंद है।
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हिचकी में
वैसे हिचकी कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन यदि आपको यह परेशान करता है तो सोंठ और गिलोय का चूर्ण सूंघिए। हिचकी दूर हो जाएगी।
पैरों के तलवों की जलन
कई लोगों के लिए यह एक बड़ी समस्या है। इस समस्या के चलते वह पूरी रात सो नहीं पाते। इसके लिए आप गिलोय का चूर्ण, अरंडी का बीज पीस कर दही के साथ मिलाकर तलवों में लगाने से जलन मिट जाएगी।
कब्ज में लाभकारी
शरीर में पानी की कमी, डाइट में पोषण की कमी, व्याहयाम ना करना और खराब लाइफस्टा इल की वजह से लोगों को कब्ज की बीमारी घर कर लेती है। यदि आप गिलोय का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करेंगे तो कब्ज को दूर किया जा सकता है।
पीलिया रोग में
गिलोय का एक चम्मच चूर्ण और काली मिर्च तथा शहद मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में फायदा मिलता है।
मूत्र संबंधित विकार
मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना आदि मूत्र संबंधित विकार हैं। मूत्र संबंधित विकार को दूर करने के लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर सेवन कीजिए।
बवासीर से पीड़ित रोगियों के बेहतर है गिलोय
गिलोय की जड़ी बूटी को कई प्रकार के बीमारियों के उपचार के लिए जाना जाता है। गिलोय आपकी पाचन प्रणाली का ख्याल रख सकता है। आप घर पर इस सरल उपाय का उपयोग कर सकते हैं। आंवले के साथ आधे ग्राम गिलोय पाउडर को नियमित रूप से लें। इसके अलावा गिलोय का रस छाछ के साथ भी लिया जा सकता है। यह उपाय बवासीर से पीड़ित रोगियों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।