विटामिन ई एक तरह का तत्व है जसकी शरीर को बहुत अधिक आवश्यकता होती है। शरीर में प्रवेश करते ही यह वसा को सोंखती है। विटामिन ई शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाती है। शरीर को एलर्जी से बचाने में भी इसकी अहम भूमिका होती है। विटामिन ई एक एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। विटामिन ई रक्त में लाल रक्त कणिकाओं को बनाने के काम में आता है।
विटामिन ई के स्रोत
अंडे, अखरोट, बादाम, सूखे मेवे, हरी पत्तीदार सब्जियाँ, सरसों, आम, पपीता, सी फूड, अंकुरित खाद्य पदार्थ आदि विटामिन ई के स्रोत हैं।
विटामिन ई के बारे में यह जानना है जरूरी
विटामिन ई रक्तचाप के लिये उपयोग में लायी जाने वाली दवाइयों के अवशोषण को रोकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने के लिये ली जाने वाली दवाईयाँ शरीर में विटामिन ई का स्तर कम करती हैं। इसके अलावा कैंसर की औषधियाँ भी विटामिन ई के स्तर को प्रभावित करती हैं। शरीर के पाचन तंत्र को विटामिन ई अवशोषित करने के लिये वसा की जरूरत होती है।
विटामिन ई की महत्ता को ध्यान में रखते हुए यह जानना जरूरी है कि मानव शरीर में विटामिन ई की मात्रा जरूरी होती है। विटामिन ई की कितनी मात्रा शरीर के लिये आश्यक है यह लोगों के उम्र और लिंग पर निर्भर करता है।
कितनी हो विटामिन ई की मात्रा
नवजात शिशु से छह माह तक विटामिन ई की 4 मिलिग्राम जरूरत प्रतिदिन होती है। नवजात शिशु 7 से 12 माह के बच्चों में इसकी मात्रा 5 मिलिग्राम प्रतिदिन होती है। एक वर्ष के बच्चों से तीन वर्ष के बच्चों को प्रतिदिन इसकी जरूरत 6 मिलिग्राम होती है। 4 वर्ष के बच्चों से 8 वर्ष के बच्चों को प्रतिदिन इसकी 7 मिलिग्राम आवश्यकता है। 9 वर्ष के बच्चों से 13 वर्ष के बच्चों को प्रतिदिन इसकी 11 मिलिग्राम आवश्यकता है। 14 वर्ष और उससे बड़े उम्र के लिये प्रतिदिन इसकी 15 मिलिग्रम होती है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 17 मिलिग्राम विटामिन ई की जरूरत होती है।
इसलिये अपनी उम्र और जरूरत के हिसाब से करें विटामिन ई का सेवन।