हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव आता है, कोई इसे लाइफ का हिस्सा मानकर आगे बढ़ता है, तो कोई इसे समझने में ही पूरी जिंदगी लगा देता है। अपनी लाइफ की असफलता, निराशा और हताशा आदि को पकड़े रहना ही डिप्रेशन या अवसाद है।
क्या है अवसाद या डिप्रेशन ?
जिंदगी के कई अहम पड़ाव जैसे- परीक्षा में असफल होना या ज्यादा अंक लाने की चुनौती, किसी नजदीकी की मौत, नौकरी चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर अवसाद की वजह बनते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति उदास, बेचैन, दोषी, असहाय, बेकार, नकारात्मक सोच, चिड़चिड़ा और शर्म आदि महसूस करने लगता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति अनिद्रा, अत्यधिक नींद, थकान, दर्द, कम ऊर्जा और पाचन समस्याओं का शिकार हो जाता है। ऐसे समय में तर्क-वितर्क या निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है और आत्महत्या का विचार आने लगता है।
वैसे कुछ मेडिकल कारणों से भी लोगों को अवसाद होता है, जिनमें एक है थायरॉयड की कम सक्रियता होना। कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स में भी अवसाद हो सकता है। इनमें रक्तचाप कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं शामिल हैं।
अवसाद या डिप्रेशन के लक्षण
- किसी भी काम या चीज में मन न लगना, कोई रुचि न होना, किसी बात से कोई खुशी न होनी, यहां तक गम का भी अहसास न होना अवसाद का लक्ष्ण है।
- न चाहते हुए हर समय नकारात्मक सोच रखना।
- नींद न आना या बहुत नींद आना, रात को दो-तीन बजे नींद का खुलना आदि अगर यह दो सप्ताह से अधिक चले तो अवसाद की निशानी है।
- शारीरिक थकावट, उर्जा की कमी, रोजाना के कामों में रुचि न लेना।
- ऐसी स्थिति में मन लाचारी और निराशा से भर जाता है। आप यह सोचने लगते हैं कि खुद की स्थिति को सुधारने के लिए आप कुछ नहीं कर सकते।
- आपकी हॉबी, सामाजिक गतिविधियों और सेक्स लाइफ में आपकी कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती। आप खुशी महसूस करने की क्षमता खो देते हैं।
- अगर आपको अवसाद या डिप्रेशन है तो आपका वजन या तो कम होगा या बढ़ेगा।
- आप छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित या हिंसक हो जाएंगे, किसी बात की बेचैनी आपको सताने लगेगी।