केरल राज्य एक वायरस की वजह से हाई अलर्ट पर है क्योंकि इस वायरस की वजह से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। उस वायरस का नाम है निपाह वायरस। आखिर निपाह वायरस क्या है तथा इसके लक्षण और बचने के उपाय कौन कौन से है। यह एक तरह का दिमागी बुखार (एन्सेफलाइटिस) है जिसकी चपेट में आने से 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस मामले ने तब और ज्यादा तूल पकड़ा जब 28 वर्षीय नर्स लिनी की भी इस वायरस के संपर्क में आने के कारण मौत हो गई। फिलहाल इस बीमारी से निपटने के लिए कोई टीका या दवा मौजूद नहीं है।
निपाह वायरस क्या है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह वायरस एक नया उभरता हुआ ज़ूनोसिस है जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी का कारण बनता है। यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं।
इसे यदि आसान भाषा में समझे तो निपाह एक जूनोसिस वायरस है। इस वायरस का प्रारंभिक स्रोत फल चूसने वाले चमगादड़ हैं। यह चमगादड़ के जरिए फल व सब्जी में जाता है और इनका प्रयोग करने से यह इंसानों में आ जाता है। यह सीधा जानवरों के माध्यम से भी इंसानों में भी प्रवेश करता है।
आपको बता दें कि निपाह वायरस (एनआईवी) की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी। उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे। दूसरी बार इस वायरस का संक्रमण 2004 बंग्लादेश में सामने आया था। यहां यह बीमारी चमगादड़ों से संक्रमित खजूर खाने से इंसानों में फैली थी।
निपाह वायरस के लक्षण
निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) से जुड़ा हुआ है। वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सामान्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, बेहोशी और मतली शामिल होती है।
कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, उनींदापन, विचलन, मानसिक भ्रम, थकान और धुंधलापन महसूस हो सकता है। ऐसे कई मरीज़ हैं जो न्यूरोलॉजिकल, श्वसन और फुफ्फुसीय संकेत भी दिखाते हैं।
इसलिए, ऐसे किसी भी संकेत को अनदेखा न करें। यदि मरीज का इलाज या देखभाल नहीं की गई, तो ये लक्षण 24-48 घंटों की अवधि में कोमा का कारण बन सकता है। निपाह वायरस) के इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है। – जिका वायरस क्या है
निपाह वायरस से बचने के उपाय
निपाह वायरस से बचाव अभी तक, निपाह वायरस के इलाज के लिए पूरी तरह से कोई विशेष टीका उपलब्ध नहीं है। इस वायरस का इलाज करने का एकमात्र तरीका गहन देखभाल है।
1. चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाएं। यह निपाह वायरस का कारण बन सकता है।
2. सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो।
3. पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें। यह सर्दियों का लोकप्रिय मीठा पेय है।
4. अस्पतालों में ऐसे वायरस को लेकर मानव-से-मानव संक्रमण से बचने के लिए लक्षणों और ट्रांसमिशन के बारे में जागरूकता बढ़ाने की भी आवश्यकता है।
5. बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के संपर्क में न आएं. यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें। आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।
6. संक्रमित सूअरों, चमगादड़ और मनुष्यों के साथ सीधे संपर्क से बचना चाहिए। संक्रमित चमगादड़, सूअर और इंसानों से निपाह वायरस फैल सकता है।
7. ऐसे मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों को मास्क और दस्ताने पहनकर सावधानी पूर्वक इलाज करना चाहिए।
8. निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है तथा मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें।
9. यदि आप किसी संक्रमित क्षेत्र में और उसके आस-पास अस्वस्थ महसूस करते हैं, तो तुरंत जांच कराएं।