टीबी जिसे क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। आज आप टीबी का घरेलू उपचार क्या है इसके बारे में जानिए। टीबी विकासशील देशों में सबसे आम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यह दुनिया में सबसे घातक संक्रामक रोग है। 2014 में टीबी से 15 लाख लोगों की जान गई है।
टीबी का घरेलू उपचार
आंवला
विटामिन सी, विटामिन एबी कॉम्लेया क्स , पोटैशियम, कैलशियम, मैग्नीनशियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और डाययूरेटिक एसिड से भरपूर आंवला को एक वंडर फूड कहा जाता है। इस छोटे से फल में ऐसे चमत्का रिक गुण है जो बॉडी के लिए बेहद लाभदायक हैं। यह न सिर्फ हमारे शरीर की इम्यू निटी बढ़ाता है बल्किय कई बीमारियों को रोकने में भी मदद करता है।
इसके अंदर टीबी से निपटने की क्षमता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। यह फेफड़े के सूजन को कम करता है और बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। इसके लिए आप 3 आंवले के बीज को निकाले और इसका रस निकाल लें। फिर इसे खाली पेट सेवन कीजिए।
टीबी में संतरे का जूस भी है लाभकारी
संतरा न सिर्फ स्वाद की दृष्टि से बल्कि स्वास्य्ें की दृष्टि से भी अच्छा होता है। मैग्नीशियम और पोटैशियम से भरपूर संतरा उच्चक्तचाप के मरीज़ों के लिए अच्छा है। विटामिन सी और विटामिन ए की अधिक मात्रा होने के कारण, संतरे के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम मजबूत बनाती है। इसका जूस टीबी जैसी बड़ी बीमारी में लड़ने में आपकी मदद करता है।
जूस बनाने के लिए आप दो संतरे लीजिए और उसका जूस बना लीजिए। फिर उसमें थोड़ा नमक और थोड़ा शहद डाल लीजिए। यह टीबी का अच्छा घरेलू उपचार है। इससे संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
अखरोट
ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर अखरोट खाने के बेमिसाल स्वास्थ्य लाभ होते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है की इसका नियमित सेवन करना चाहिए। ये कई बीमारियों को दूर रखता है और दिल को मजबूत बनता है। अखरोट ऊर्जा का पॉवरहाउस हैं। यह विटामिन बी 6, विटामिन ई, आयरन, फास्फोरस और मैग्नीशियम सहित विभिन्न विटामिनों और खनिजों के लिए अद्भुत स्रोत हैं।
ये सभी तत्व मानव शरीर की इम्यून पावर को सुधारने में मदद करते हैं, जिससे टीबी जैसी बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। इसके लिए आप दो अखरोट का पाउडर बना लें। फिर उसमें एक लहसुन का पेस्ट मिलाएं। फिर सुबह नाश्ते के समय इसका सेवन कीजिए।
टीबी की दवा है काली मिर्च
आमतौर पर रसोई में खाने का स्वाद बढ़ाने और मसालों के रूप में इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च कई रोगों में रामबाण उपचार के तौर पर काम करता है। यह पाचन में सुधार करने के साथ साथ वजन घटाने, त्वचा की देखभाल और श्वसन से राहत प्रदान करने में मदद करता है।
टीबी छाती की जकड़न, सूजन और दर्द के साथ जुड़ा हुआ है। एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर काली मिर्च इसमें घरेलू नुस्खे की तरह काम करता है।
लहसुन
आमतौर पर हम लहसुन का इस्तेीमाल खाने में तड़का लगाने और खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन जैसे उपयोगी खनिज से भरपूर लहसुन किसी भी बेजान सब्जीय के स्वाजद को जानदार बना देता है।
इसके अलावा लहसुन में ऐसे गुणकारी तत्वर मौजूद होते हैं जो आपको कई बीमारियों से दूर रखते हैं। लहसुन एक सुपरफूड है। आयुर्वेद में तो लहसुन को औषधि माना गया है। इसके एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एनाल्जेसिक गुण टीबी से आपकी रक्षा करते हैं।
टीबी का घरेलू नुस्खा है पुदीना
अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर पुदीना स्वाद लाने के साथ-साथ यह आपके सेहत में भी सुधार लाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एनाल्जेसिक गुण है जो टीबी बीमारी में एक अच्छा घरेलू उपाय बन सकता है। टीबी से पीड़ित लोगों के दर्द को कम करता है। इसके लिए आप गाजर और और पुदीने का जूस बनाकर पीजिए।