इक्कीसवीं सदी में रहने के बाद भी अधिकांश घरों में स्त्रियाँ ही सारे काम करती है। उनके काम की प्रकृति घरेलू होती हैं। इनमें व्यस्त रहने के कारण स्त्रियाँ अपने हाथ-पैरों की समुचित देखभाल नहीं कर पाती। इन कामों के कारण हाथ-पैरों की त्वचा भी विशेष रूप से प्रभावित होती है।
बर्तन मांजने, कपड़े धोने और रसोई के कामों में उलझी स्त्रियों के हाधों की त्वचा में खुरदरापन और दरारें आ जाती है। इन कारणों से त्वचा रूखी पड़ जाती है। इसलिये इन कामों से निपटने के बाद किसी अच्छी क्रीम या तेल का अवश्य इस्तेमाल करें। इससे त्वचा चमकदार और चिकनी बनी रहेगी।
हाथों की त्वचा अत्यधिक खुरदरी होने पर ग्लिस्रिन, नींबू का रस और गुलाबजल को बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में बरकर रख लें। अपने सारे घरेलू काम निपटाकर इस लेप को नियमित रूप से हाथ-पैरों पर लगाएँ। इससे त्वचा का रंग भी निखर जाता है।
सप्ताह में एक बार सरसों अथवा अन्य किसी मालिश के तेल से हाथ-पैरों की अच्छी तरह मालिश करें। सर्दी या मौसम के अधिक ठंड होने पर सप्ताह में दो-तीन बार मालिश करें। यही चीज गर्मी में सात-आठ दिनों में एक बार करें। हाथ-पैरों की नियमित मालिश से न ही हाथ-पैर फटते हैं और न ही त्वचा का रंग बदरंग होता है। इससे त्वचा पर झुर्रियाँ भी नहीं पड़ती। इन मालिशों से उभरी हुई नसें भी दिखना बंद हो जाती है। इससे कलाईयों की गोलाई और कसाव बनी रहती है।
कुहनियों और घुटनों पर यदि मैल जमा हो और वो काली दिखती हो तो नींबू का छिलका एक सप्ताह तक वहाँ रगड़ें। इससे मैल वहाँ से हट जायेगा। स्नान करते समय कोहनियों और घुटनों पर साबुन लगाकर रोयेंदार तौलिये से रगड़ कर साफ करें। इससे मैल वहाँ जम ही नहीं पायेगा। शरीर के ये सारे भाग अक्सर लापरवाही के कारण उपेक्षित रह जाते हैं। हाथ-पैरों के नाखूनों के आस-पास तेल लगाकर मालिश करते रहने से नाखूनों पर गुलाबीपन बना रहेगा।
काम करने के कारण पैरों में आये भारीपन और उससे उपजे दर्द से राहत पाने के लिये एक बाल्टी पानी लेकर उसमें नमक, नींबू का रस या सिरका डालकर उसमें पैर डाल दें। ऐसे पंद्रह-बीस मिनट तक रखने से थकावट छू-मंतर हो जाता है।