साँपों का काटना चिंता की बात हो सकती है. कभी-कभार यह मौत का कारण भी बन जाती है. साँपों के काटने पर तुरंत ही प्राथमिक उपचार कर लेना चाहिये. वैसे तो सभी समुद्री साँप जहरीले होते हैं लेकिन हर साँप विषैले नहीं होते. यही कारण है कि किसी भी साँप के काटने पर लोगों को पहले सदमा हो जाता है. यह सदमा केवल उस डर के कारण होता है जो लोगों के मन में साँपों को लेकर पहले से घर बसा चुका होता है.
साँपों के काटने के लक्षण
साँप के काटने पर प्रभावित हिस्से में अत्यंत पीड़ा होती है. पीड़ित को चुभन का एहसास होता है. प्रभावित हिस्से के चारों ओर रक्त के रंग में अंतर पड़ जाता है. जिसे साँप काटता है उसे नींद का एहसास होता है और बेहोशी छाने लगती है. उस दौरान आँखों की पुतलियाँ सिकुड़ जाती है और नाड़ी एवं श्वास की गति धीमी हो जाती है. साँपों के काटने पर पाँव सुन्न होने लगती है. कुछ ही समय में यह मस्तिष्क की तरफ बढ़ता हुआ प्रतीत होता है. इसके परिणामस्वरूप बूँद-बूँद करके मुँह से लार टपकने लगती है.
क्या हैं उपचार
फौरन पीड़ित को चिकित्सक के पास ले जाएँ ताकि उसकी जान बचायी जा सके. फौरी उपचार के तौर पर पीड़ित को सीधा लिटा दें और प्रभावित हिस्से और हृदय के पास कसकर एक पट्टी बाँध दें. यह ध्यान रखे कि साँप का जहर हृदय की ओर न बढ़ पाये और न ही शरीर के अन्य हिस्से में फैल सके. पट्टी के स्थान पर रस्सी, टाई, रबड़ की नली आदि का प्रयोग किया जा सकता है. रोगी को गरमी देने की कोशिश करें और सोने न दें. यदि पीड़ित को साँस लेने में दिक्कत हो तो कृत्रिम श्वास क्रिया से श्वसन कराना चाहिये. इसके अतिरिक्त रोगी को धैर्य बँधाते रहना चाहिये.