भुजंगासन कैसे करे और लाभ

प्रजनन सम्बन्धी विकारों जैसे प्रदर, कष्टप्रद मासिक धर्म और अनियमित मासिक धर्म आदि के कष्ट से यदि आप पीड़ित है तो आपको भुजंगासन करना चाहिए। यह आसन कब्ज के साथ-साथ स्लिप डिस्क में भी मददगार है। भुजंगासन को हम सर्प आसन भी कहते हैं। भुजंग का अर्थ होता है सांप। जिस प्रकार सर्प का शरीर लचीला होता है उसी प्रकार यह आसन शरीर को लचीला और फुर्तीला बनाये रखने में सक्षम होता है। वैसे तो भुजंगासन में कई तरह के अभ्यास हैं लेकिन आज हम एक ही तरह के अभ्यास को बताएंगे।

भुजंगासन कैसे करे

पेट के बल लेट जाइये तथा पैरों को सीधा व लम्बा फैला दीजिये। हथेलियों को कन्धों के नीचे जमीन पर रखिये तथा सिर को जमीन से छूने दीजिये। विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल कीजिये। धीरे-धीरे सिर को व कन्धों को जमीन से ऊपर उठाइये तथा सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाइये। हाथों की सहायता के बिना कन्धों को केवल पीठ के सहारे ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिये। धीरे-धीरे पूरी पीठ को ऊपर की ओर तथा पीछे की ओर झुकाते हुए गोलाकार करते जाइये। इस अवस्था में हाथ सीधे होने चाहिए। यह आसन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पीठ पर विशेष तनाव या अनावश्यक खिंचाव न पड़ने पड़े।

यह आसन करते समय जमीन से शरीर को ऊपर उठाते वक्त श्वास अंदर लीजिये। अंतिम स्थिति में श्वास अन्दर रोक कर रखें। पूर्व स्थिति में लौटते समय धीरे-धीरे श्वास बाहर छोड़ दीजिये। अंतिम स्थिति में 1 मिनट रुकने की कोशिश कीजिए। इस आसन को पांच से छह बार दुहराइये।

भुजंगासन – सावधानियां 

जो व्यक्ति पेट के घाव, हर्निया, आंत की बीमारी या से पीड़ित है, उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह के बिना इस आसन को नहीं करना चाहिए। यह आसन अपनी क्षमता अनुसार करना चाहिए।

भुजंगासन का लाभ 

  1. यह आसन महिलाओं के प्रजनन सम्बन्धी विकारों को जैसे प्रदर, कष्टप्रद मासिक धर्म और अनियमित मासिक धर्म आदि के कष्ट को दूर करने में सहायक है।
  2. साधारण तौर पर गर्भाशय और अण्डाशय को भी इस आसन से लाभ पहुंचता है।
  3. यह आसन भूख को बढ़ाने में मददगार है तथा कब्ज की समस्या को भी दूर करता है।
  4. यह आसन उदर के सभी संबंधित अंगों, विशेष रूप से जिगर और गुर्दो के लिए लाभदायक है।
  5. यह आसन शरीर को लचीला, स्वस्थ व पुष्ट बनता है।
  6. स्लिप डिस्क सम्बन्धी छोटे-मोटे दर्द को तथा पीठ के समस्त प्रकार के दर्दो को यह आसन रामबाण की तरह काम करता है।
  7. यह पेट की चर्बी को घटाकर मोटापे को कम करता है।
  8. महिलाओं के प्रजनन और मासिक संबंधित समस्याओं में भुजंगासन एक रामबाण की तरह काम करता है।
  9.  इससे शरीर लचीला और फुर्तिला होगा।
  10. गला संबंधित समस्या में भी यह आसन गुणकारी है|
  11. दमा या अस्थमा के रोगियों के लिए भुजंगासन बहुत ही फायदेमंद है।
  12. इस आसन के करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
  13. इससे शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार होता है
  14. जिन लोगों को तनाव और थकान की समस्या सताती है उन्हें यह आसन जरूर करना चाहिए।
  15. यह आसन दिल और फेफड़ों के मार्ग को साफ करने में भी मदद करता है।
  16. यह ह्र्दय को मजबूत बनाता है।

 

 

बीमारियों में भुजंगासन 

भुजंगासन करके न केवल बेली फैट को कम कर सकते हैं बल्कि मधुमेह जैसी बड़ी बीमारी के रोकथाम में भी सहायक है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि भुजंगासन थायरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित करता है जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

निमोनिया से बचने के लिए भुजंगासन योग 

मानसून का मौसम आते ही जहां एक तरफ चेहरे खिल उठते हैं, वहीं दूसरी कई बीमारियां इस मौसम के आने से जन्म लेने लगती है। ऐसे मौसम में पेचिश, अस्थमा, गठिया, नाक और त्वचा संबंधित एलर्जी होने शुरू हो जाते हैं। इन रोगों के लिए वैसे तो कई आसन हैं लेकिन उन आसनों में भुजंगासन भी बहुत प्रभावशाली है। भुजंगासन एक ऐसा आसन है जिसके जरिए रोग-प्रतिरोधक की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को फेफड़ों में संक्रमण हैं उन्हें भी यह आसन बहुत ही फायदा देता है। हालांकि जिन लोगों को कब्ज की समस्या है उन्हें भी यह आसन कर लेना चाहिए। इसलिए मानसून के मौसम यदि आप नियमित रूप से भुजंगासन को करते हैं तो आप हेल्दी रह सकते हैं।