साधारण तौर पर खाँसी होने का मतलब है कि हमारा श्वासन तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है। यह गले में हो रही खराश और उत्तेजना की सहज प्रतिक्रिया होती है। खाँसी का उपचार जल्दी हो जाना बेहतर है। आयुर्वेद में खाँसी का स्थायी उपचार भी मौजूद हैं। आयुर्वेद के अनुसार जब कफ सूखकर फेफड़ों और श्वसन अंगों पर जमता है तो खासी होती है। तीव्र खाँसी अचानक शुरू होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।
आयुर्वेदिक और कुछ घरेलू उपचार
375 मिलीग्राम भिगोया हुआ सुहागा शहद के साथ रात में लेने से या मुनक्के और मिश्री को मुँह में रखकर चूसने से खाँसी में लाभ मिलता है।
हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर लेने से खाँसी कम करने में मदद मिलती है।
आधा तोला अनार की सूखी छाल बारीक कूटकर, छान लें। उसमें थोड़ा कपूर मिलायें। दिन में दो बार यह चूर्ण पानी के साथ मिलाकर पीने से भयंकर और कष्टदायी खाँसी मिटती है।
पान का पत्ता और थोड़ी अजवायन पानी में चुटकी भर काला नमक व शहद मिलाकर लेना भी खाँसी में लाभदायक होता है। विशेष रूप से यह बच्चों के लिए लाभकारी है।
सूखी खाँसी के उपचार के लिए एक छोटे से अदरक के टुकड़े को छील लें। इस पर थोड़ा नमक छिड़क कर उसे चूसें।
तुलसी के पत्तों का सार, अदरक और शहद मिलाकर एक मिश्रण बना लें। ऐसी गंभीर खाँसी के उपचार के लिए लें जो कि तपेदिक और ब्रौन्काइटिस जैसी बीमारियों के कारण शुरू हुई है।
गुनगुने पानी से गरारे करने से गले को भी आराम मिलता है। इससे खाँसी भी कम होती है। इसके अलावा सूखी खाँसी में काली मिर्च को पीसकर घी में भूनकर लेना भी फायदेमंद होता है।
इलायची और लौंग चबाने से खाँसी और उसकी उत्तेजना से राहत मिलती है। इन सब उपायों को व्यवहार में लाकर खाँसी से आराम मिल सकती है।