आग लगने जैसी दुर्घटना में नुकसान छोटे या वृहद स्तर पर हो सकता है। इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता। इसके होने वाले नुकसान को जरूर कुछ कम किया जा सकता है। आग लगने से होने वाले नुकसान की भयावहता से बचने के लिये आग लगने पर बचाव की जानकारी होनी जरूरी है। ये तरीकें हो सकते हैं सहायक-
दुर्घटनावश, आग लगने से आहत होने पर पीड़ित को कम्बल से लपेट दें और चिकित्सक के पास उपचार के लिये ले जाएं। आग से जलने पर कभी भी इधर-उधर न भागें, न ही बाहर या छत पर जाएं। आग लगने पर उसे बुझाने या फौरी राहत के लिये जमीन पर लोट-लट कर आगे बुझाएं या कम्बल ओढ़ें। इस दौरान यह ध्यान रखें कि जले हुए स्थान पर पानी न पड़े। अगर उस दौरान शहद याद रहे तो उसे लगाया जा सकता है। किन्तु, गम्भीर और गहरे घावों पर कुछ न लगाएं। अक्सर आग की दुर्घटनायें रसोई घर में असावधानी बरतने से होती है। इसलिये रसोई घर में काम करने के दौरान कुछ सावधानियों को प्रयोग में लाना आवश्यक है।
रसोई घर में रेशमी अथवा टोरीलीन के कपड़े पहनकर खाना पकाने से बचें। लटकने वाले कपड़े न पहनें। महिलायें बालों को खुला न रखें। घी अथवा गरम तेल में कोई वस्तु पकने के लिये डालते समय मुँह आगे से हटाकर काफी नीचें से वस्तु छोड़ें। इस तरीके को अपनाने से घी या तेल छिटक नहीं सकते।
हमेशा खाना पकाने के उपकरणों को ऊँचाई पर रखें। नायलोन, टेरीलोन, टेरीकोटन के कपड़े पहन कर कभी काम न करें। इस प्रकार के कपड़ों यह विशेषता होती है कि उनमें आग फौरन पकड़ती हैं। इतना ही नहीं आग लगते ही यह पूरे कपड़ों में भी तुरन्त फैल जाती है। नायलोन या प्लास्टिक की चूड़ी या चश्मे के फ्रेम में आग लगाकर भी दुर्घटना हो सकती है। रसोई घर में ढ़ीले-ढ़ाले कपड़े पहनकर भी आग के पास जाने से बचें।