चिकित्सीय बाजार में बाँझपन दूर करने के एक से एक दावे किये जाते रहे है। रेलगाड़ियों के डिब्बों में, पोस्टरों में, अख़बारों के वर्गीकृत में स्त्रियों के बाँझपन को एकदम दूर करने के दावे लोगों को भ्रमित करते रहते हैं। ऐसे में यह बाँझपन के विषय में जरूरी जानकारी की कमी स्थिति को और मुश्किल कर देती है। इसलिये बाँझपन और उसके कारणों की जानकारी इस स्थिति से लोगों और विशेष रूप से स्त्रियों को उबारने में सहायक हो सकती है।
स्त्रियों में बाँझपन की समस्या आम है। यह कोई दैवीय दोष नहीं है। जब कोई स्त्री गर्भधारण के योग्य नहीं होती तो उसे अनुर्वर कहते हैं। दरअसल, बाँझपन या बंधयत्व का मूल कारण भी अनुर्वरता है। बाँझपन का मुख्य कारण डिंबाणुओं का निर्माण नहीं होना है। जब तक स्त्रियों के डिंब का पुरूष के शुक्राणु से सम्पर्क नहीं होता तो गर्भ ठहर ही नहीं सकता। डिंब और शुक्राणुओं का सशक्त और सक्षम होना जरूरी है। इसके बिना सशक्त गर्भ की स्थापना नहीं हो सकती।
जानिये बाँझपन के ऐसी ही कारणों के बारे में-
अंडाणुओं का निर्माण न होना बाँझपन का एक मुख्य कारण है। किसी संक्रमण या रोग के कारण अंडनलिका और अंडग्रंथि को निकाल देना, बार-बार और जल्दी-जल्दी गर्भपात होना आदि बाँझपन के कारण हैं। इसके अलावा गर्भाशय के आकार का छोटा होना अथवा उससे सम्बन्धित कोई रोग होना भी बाँझपन के कारणों में शामिल हैं।
गर्भाशय की स्थिति में परिवर्तन होना और किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप भी स्त्रियों की गर्भ धारण करने की क्षमता पर प्रतिकूल असर होता है। फैलोपियन ट्यूब में संकुचन के कारण मार्ग का तंग हो जाना अथवा यौन के प्रति अनिच्छा, घृणा आदि भी स्त्रियों की बच्चे पैदा करने की क्षमता को कम या शून्य कर देते हैं।
बाँझपन में क्या करें
स्त्री-पुरूष दोनों एक साथ शारीरिक जाँच करायें। कई बार यह समस्या पुरूषों की शारीरिक कमियों के कारण होती है। अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
बाँझपन में क्या न करें
फालतू के टोटकों, अधकचरे नसीहतों से बचें और उसे अपने और परिवार के सही विचारों पर हावी न होने दें।